बड़ा सवाल यह है कि डायरेक्टर हेल्थ दो साल से बरती इस लापरवाही पर आखिर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। बतादें कि जिला अस्पताल से हर माह 70 से ज्यादा मामलों में मरीज को सीटी स्कैन की जरूरत पड़ती है, और लोग मंहगी कीमत देकर सीटी स्कैन करवाने के लिए विवश हैं।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा बताते हैं कि सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए भोपाल स्तर प्रयास किया जाना है। डायरेक्टर हेल्थ को कई बार पत्र लिख चुके हैं। सिद्धार्थ इंटरप्राइजेस को मशीन लगानी है। हमने तो हॉल तैयार करवा दिया है। सीटी स्कैन लगाने के लिए पूरे सामान नहीं आए हैं।
सीटी स्कैन मशीन लगाने के मामले में टेंडर मिलने के बाद से लापरवाही बरती जा रही है। भोपाल की सिद्धार्थ एमआरआई एंड सीटी स्कैन संस्था को मशीन लगाने का काम मिला। टेंडर मिलने के बाद संस्था ने काम भी शुरू किया, लेकिन डेढ़ साल का समय बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। बीच-बीच में कुछ सामग्री लाई जाती है। इसी कड़ी में मई माह में भी कुछ सामग्री लाई गई थी। यहां जून माह तक मशीन नहीं लग पाई।
– सीटी स्कैन मशीन लगाने को जगह चयन में भी पेंच फंसा रहा। पहले प्रथम तल पर लगाने की बात कही गई। बाद में रैन बसेरा का स्थान चिन्हित किया गया।
– जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन लगने के बाद गरीब परिवारों को इसका लाभ नि:शुल्क मिलेगा। संचालन पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर होगा।
– सीटी स्कैन मशीन का लाभ इमरजेंसी में इलाज में मिलेगा। सिर, कंधे, रीढ़ की हड्डी, पेट, दिल, घुटना और छाती जैसे अंगों के अंदरूनी चित्र देखने के साथ ही आंतरिक चोट और रक्तस्राव की मात्रा का पता लगाने में मशीन से सहूलियत होती है।