यहां व्यवसाय करने वाले ये कारोबारी गर्व से कहते हैं कि उनका कारोबार फल फूल रहा है तो इसमें महात्मा गांधी नाम का बड़ा महत्व है। व्यापारी कहते हैं गांधी नाम है तो यह बाजार है और बाजार है तो उनका व्यापार है।
यहां दुकान चलाने वाले उमर फारुख बताते हैं कि गांधी द्वार के नाम से चल रहे बाजार में छोटे व्यापारियों के अलावा बेरोजगार युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। ज्यादातर परिवारों के लिए यह बाजार जीवन का आधार है।
पान दुकान चलाने वाले आनंद कुमार का कहना है कि गांधी जी के कटनी आगमन के बाद द्वार का निर्माण हुआ। बापू तो पूरी दुनिया के लिए महान हैं, हमारे लिए इसलिए ज्यादा महान हैं कि उनके नाम से चल रहे बाजार में हम कारोबार कर रहे हैं।
शहर के प्राचीन धरोहरों में से एक महात्मा गांधी द्वार के निर्माण को लेकर जानकार बताते हैं कि इस द्वार का निर्माण 1933 में अंग्रेजों ने करवाया था। तब यह कचहरी मार्ग हुआ करता था। वर्तमान में भी दुकान समाप्ति के बाद कचहरी को एक सीढ़ी जाती है, जहां से लोग पैदल ही कचहरी तक पहुंंच सकते हैं।