एक चौकी पर नया लाल कपड़ा बिछा दें, उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें या फोटो रखें, पंचोपचार विधि से पूजा करें, लाल गुलाब इत्रादि अर्पित करें और मंत्र का जाप करें –
पत्नीं मनोरमां देहि, मनोवृत्तानुसारिणीम
तारिणी दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भावाम।।
मनचाही पत्नी पाने के लिए सुन्दर काण्ड का पाठ भी लाभकारी होता है। किसी चौकी को धो कर उस पर नया लाल कपड़ा बिछा लें उस पर हनुमानजी की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें और लगातार नौ दिनों तक पाठ करें। इसमें भी पहले दिन एक बार, दूसरे दिन दो बार, तीसरे दिन तीन बार, इसी क्रम से नौवें दिन नौ बार पाठ करें। गुड़ चने का भोग लगाएं। इस पूजा से बार बार सगाई टूट रही हो तो भी सुन्दर सुशील पत्नी मिलती है।
अंतत: कुछ बातों का ध्यान रखें कि असंभव गुणों से युक्त स्त्री पत्नी के रूप कल्पना न करें। निराशा होगी तथा खुद को भी परखें। तालमेल सहयोग और प्रेम अपनी तरफ से भी रखें जीवन सुखमय रहेगा।
सातवें भाव के स्वामी से होता है तय
पत्नी के सौन्दर्य के सम्बन्ध में जानना हो तो लडक़े की कुंडली में सातवें भाव को ध्यान से देखना चाहिए। अगर सातवें भाव का स्वामी कोई शुभ ग्रह हो और वह उसी भाव में उपस्थित हो, उस पर किसी क्रूर ग्रह की दृष्टि भी न हो तो पत्नी सुन्दर सौम्य और सुशील मिलती है। सातवें भाव का स्वामी ग्यारहवें भाव में उपस्थित हो तो इस स्थति में भी रूपवती पत्नी मिलती है।
शारीरिक सम्बन्ध कैसे रहेंगे यह कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति से तय होता है, यदि वह उच्च भाव में है तो निसंदेह शयनकक्ष का माहौल मधुर और प्रेमिल रहेगा। सप्तम भाव में शुक्र उपस्थित रहे तो पत्नी सुन्दर मिलने की संभावना प्रबल रहती है। अगर सूर्य तुला या मकर राशि का न हो तो सातवें में भाव में शनि, राहू, केतु के होने से भी फर्क नहीं पड़ता। इसके लिए जानकार कुंडली विशेषज्ञ से परामर्श ली जा सकती है।
अगर सातवें भाव में वृषभ या तुला राशि हो, तो इस स्थिति में भी सुन्दर पत्नी मिलती है। ऐसा होने पर शादी के बाद किस्मत बुलंद हो जाती है, चमत्कारिक रूप से भाग्योदय होता है। इसके पीछे कारण यह है कि पत्नी सुन्दर होने के साथ चतुर, मधुर वचन बोलने वाली, कला से प्रेम करने वाली और संस्कारी होती है। ऐसा जीवन साथी मिले तो भाग्योदय होना स्वाभाविक ही है।
पतिव्रता का अर्थ व्यापक
सबसे पहले पतिव्रता शब्द के अर्थ को समझे, इसे हम प्राचीन मान्यता के अनुसार ग्रहण नहीं कर सकते। प्राचीन काल में स्त्रियाँ अपने को पतिव्रता सिद्ध करने के लिए पति की मृत्यु के बाद उसकी चिता पर बैठकर आत्मदाह कर लेती थीं। आज यह संभव नहीं है। वर्तमान में इसका अर्थ व्यापक है अर्थात ऐसी पत्नी जो अपने पति को समझे, उसकी परेशानी को समझे, विवाहेत्तर सम्बन्ध बनाने की कुप्रवृत्ति न हो, कठोर वचन न बोलती हो और किसी भी परिस्थिति में पति को त्यागने का विचार मन में न लाती हो। इसके साथ ही पतियों की जिम्मेदारी होती है कि सहचरी की भावनाओं को समझें, उसके साथ हिंसक व्यवहार न करें, उसे नीचा न दिखाएं आदि। कुछ लड़कियों के कुंडली में ही यह दर्ज होता है कि वह पति के प्रति समर्पित रहेंगी चाहे कुछ भी हो जाए वह साथ नहीं छोड़ेगी। उदाहरण के लिए कुछ प्रमुख योगों का विवरण इस प्रकार है –
अगर सप्तम भाव का स्वामी चौथे भाव में या दसवें भाव में उपस्थित हो तो वह लडक़ी अपने पति से बहुत प्यार करती है।
सप्तम भाव का स्वामी गुरु के साथ हो या फिर सातवें भाव में ही उपस्थित हो साथ ही गुरु पर शुक्र या बुद्ध की दृष्टि हो तो लडक़ी जीवन भर अपने पति से बंधी रहती है।
लग्नेश और शुक्र एक साथ रहें साथ ही उन पर गुरु की दृष्टि हो तो लडक़ी अपने पति के अलावा किसी अन्य के बारे में सोच भी नहीं सकती।
सप्तमेश उच्च स्थिति में गुरु के साथ हो, और चौथे भाव का स्वामी किसी भी दो शुभ ग्रह के बीच उपस्थित हो तो यह स्थति भी आदर्श है। जन्मकुंडली में ऐसा योग होने का अर्थ है कि लडक़ी जीवन भर अपने पति के प्रति ईमानदार रहेगी और उसी से प्रेम करेगी।
अगर सातवें भाव में मंगल शुक्र के नवांश और उन पर किसी शुभ गृह की दृष्टि भी हो तो ऐसी लडक़ी अपने पति से बहुत प्रेम करती है।