कटनी

पांचवी सदी की दुर्लभ मूर्तियों को संरक्षित करने भारतीय पुरातत्व विभाग अपना रहा विशेष तकनीक

स्टोनडस्ट से अपॉक्सीरज तकनीक से भरी जाएगी भगवान विष्णु बाराह मूर्ति की दरारें

कटनीMay 18, 2019 / 12:45 pm

raghavendra chaturvedi

पांचवी सदी की दुर्लभ मूर्तियों को संरक्षित करने भारतीय पुरातत्व विभाग अपना रहा विशेष तकनीक

कटनी. विजयराघवगढ़ ब्लॉक के कारीतलाई गांव स्थित पांचवी सदी की दुर्लभ भगवान विष्णु बाराह की मूर्ति में पैर की दरारें अब अपॉक्सीरीज तकनीक से भरी जाएंगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी है। दरारें भरने की इस तकनीक में स्टोनडस्ट सहित अन्य रसायन का उपयोग किया जाएगा। इतिहास के जानकार प्रोफेसर शासकीय तिलक कॉलेज इंद्रकुमार बताते हैं कि यहां पर कल्चुरी, बौद्ध , जैन, गुप्तकालीन सहित अन्य काल में संस्कृतियों के विकास का सबूत मिला है। कभी मूर्तिकला का यह सबसे बड़ा केंद्र था। खुदाई में यहां शिलालेख मिले हैं जो देश-विदेश के अलग-अलग संग्रहालय में संरक्षित हैं। पुरातनकाल में कारीतलाई गांव नाम कर्णपुरा हुआ करता था, जो कालांतर में अप्रभंस के कारण कारीतलाई हुआ। राजा लक्ष्मण राज के नाती का नाती कर्णदेव की 1042 ईस्वी तक यह स्थान राजधानी थी। 493 ईसवी का यहां पर ताम्रपत्र का लेख मिला है।
इसे पुरात्व विभाग ने संरक्षित कर लिया है। प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में लोग भगवान विष्णु बाराह का दर्शन करने आते हैं। ग्राम पंचायत कारीतलाई के गामीणों ने बताया कि यहां कल्चुरीकॉलीन भगवान विष्णु बाराह की प्रतिमा के अलावा पत्थरों पर उकेरी गई दुर्लभ कलाकृतियां है। यहां कच्छ-मच्छ की अद्भुत मूर्तियों का भी संग्रह है। इन दुर्लभ मूर्तियों के साथ ही बावड़ी (जिसमें भीषण गर्मी के दौरान वर्तमान में भी पानी है) के संरक्षण में पुरातत्व विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
परिसर पर खाली पड़ी जमीन का उपयोग पार्क व अन्य रुप में किया जा सकता है। पुरातत्व संरक्षण विभाग के वरिष्ठ संरक्षक सहायक संदीप जायसवाल बताते हैं कि भगवान विष्णुबाराह मूर्ति में पैर का क्रेक अपॉक्सीरीजन तकनीक से भरा जाएगा। आसपास पड़े लूज स्टे्रक्चर के बेहतर रखरखाव की भी तैयारी चल रही है। कोशिश करेंगे कि खाली पड़ी जमीन पर पार्क और मुख्य द्वारा चबूतरा तक पहुंचने के लिए पीचिंग का कार्य करवाया जाए।
खास-खास
कैमोर पर्वत श्रंखलाओं के बीच बसे इस गांव में कैमारी पत्थर प्रचुर मात्रा में रहा है। मूर्तिकला के लिए इस पत्थर को बेहतर माना जाता है।
बताया जाता है कि खजुराहो शिल्प को संवारने का क्रम यहीं से प्रारंभ हुआ था। कल्चुरी कॉलीन राजा लक्ष्मण राज के मंत्री भट्ट सोमेश्वर दीक्षित द्वारा विष्णु वाराह का मंदिर बनाए जाने के शिलालेख मिले हैं।
कारीतलाई पुरातत्व संग्रहालय से 17 अगस्त 2006 में दुर्लभ 9 प्रतिमाएं चोरी हो गई थी। भगवान विष्णु और सलभंजिका की प्रतिमाएं यूएसए में मिली थी। तब छायाचित्र के आधार पर मूर्तियों की पहचान हुई थी।

Hindi News / Katni / पांचवी सदी की दुर्लभ मूर्तियों को संरक्षित करने भारतीय पुरातत्व विभाग अपना रहा विशेष तकनीक

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.