ग्रामीणों ने बयां की समस्या
नाली की समस्या 12 महीने बनी रहती है। कृषि कार्य में सिहुडी पास में पड़ती है। खाद बीज लेने के लिए किसान चार से 5 किलोमीटर का चक्कर लगाकर सोसायटी केंद्र पहुंचनते हैं।
चिंतामन ठाकुर, स्थानीय निवासी।
राशन लेने सुबह पैदल गया था। उम्र के चौथे पड़ाव में चलते-चलते थक जाते हैं। आधे घंटे इस पार से उस पार जाने में टाइम लगा है। कोई ध्यान नहीं दे रहा।
हीरालाल पटेल, स्थानीय निवासी।
नाले से साइकिल निकालना भी मुश्किल है। लगातार मांग करने के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। रपटा बन जाएगा तो बच्चों व ग्रामीणों की समस्या हो हो जाएगी।
नर्मद रैदास, स्थानीय निवासी।
सिर पर वजन लिए हुए इस मार्ग से आवागमन करना बड़ा कठिन है। रास्ता ऊबड़-खाबड़ रास्त होने के कारण हर समय हादसे का डर बना रहता है।
फूलाबाई मेहरा, स्थानीय निवासी।
लगातार मांग करने के बाद भी अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा। अधिकारियों ने मौके पर आकर कई बार निरीक्षण किया, लेकिन आज तक निराशा ही हाथ लगी है।
अमर सिंह ठाकुर, स्थानीय निवासी।
समस्या बहुत ही जटिल है। मेरी 50 वर्ष की उम्र है तब से आज तक यहां रपटा की मांग लगातार हो रही है, लेकिन आज तक न रपटा बना ना ही सड़क।
नवल सिंह ठाकुर, स्थानीय निवासी।