कटनीPublished: Oct 26, 2018 12:59:04 pm
raghavendra chaturvedi
तोड़ी बेडिय़ां, बनी मिसाल। जिस गांव में घर से बाहर निकलने हिचकिचातीं हैं महिलाएं वहां से निकली कलावती। रेलवे में इमरजेंसी में काम करने वाली टीम का बनीं हिस्सा
katni special news railway rail
राघवेंद्र चतुर्वेदी कटनी. दुनियाभर में जब महिला के जज्बे, साहस और समाज के लिए किये अनूठे योगदान के साथ ही उन महिलाओं की बात होती है, जो रुढि़वादी परंपराओं को तोड़ते हुए कुछ अलग कर रहीं हैं।
तो कलावती जैसी महिलाओं को हम भूल नहीं सकते। कलावती मध्यप्रदेश डिंडोरी जिले गाड़ासरई के समीप आदिवासी बाहुल्य गांव ढेड़ीलालपुर की रहने वाली हैं।
मौका था कटनी मुड़वारा में रेलवे द्वारा मेगाब्लॉक लेकर करवाये जा रहे आरआरआई (रुट रिले इंटरलॉकिंग) काम का। जाहिर है काम बड़ा था तो तकनीकी अधिकारियों के साथ ही दो सौ से ज्यादा की संख्या में मेहनतकश मजदूर भी पसीना बहा रहे थे।
इन्ही मजदूरों के बीच मेहनत और कड़ी मेहनत के काम में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही थी कलावती। मेहनत ऐसा कि 40 साल की इस महिला के आगे युवा मजदूर भी पीछे हो जाएं।
काम के प्रति समर्पण ऐसा था कि रेलवे की भारी भरकम पटरी किनारे करने से लेकर सीमेंट के प्लेंटे हटाने में आगे-आगे तत्पर रहना। आठ घंटे तक चले काम के दौरान हर छोटे बड़े काम को पूरी मेहनत से करना।
शायद यही कारण है कि कलावती रेलवे की उस टीम का हिस्सा है तो इमरजेंसी या कम से कम समय ज्यादा बेहतर काम करती है। पत्रिका ने पूछा इतनी मेहनत का काम कैसे कर लेंती हैं तो बड़ी आसानी से उन्होंने हंसते हुए कहा कर लेते हैं।
निजी ठेकेदार के कर्मचारी गोदूलाल कहते हैं कलावती 15 साल से ऐसे ही मेहनत का काम कर रही है। वो उस टीम का हिस्सा हैं जो कम समय में ज्यादा और तकनीकी रुप से बेहतर काम करने की क्षमता रखती है।
रेलवे में ब्लॉक लेकर पटरी हटाने का काम हो या फिर दूसरे कार्य। दक्ष मजदूरों की जरुरत पड़ी तो इसी टीम को अफसरों ने हमेशा याद किया। इतना ही नहीं कलावती घर में खेती किसानी के काम भी पति का हाथ बटाती है।
कलावती कहतीं हैं कि घर में पति, बच्चे सब हैं। काम करना चाहिए। इसलिये घर से बाहर निकली। जहां काम मिला करने पहुंच गई। मेहनत करेंगे तो चार पैसे आएंगे और परिवार ज्यादा बेहतरी से पलेगा। काम कितनी भी मेहतन का हो। पीछे नहीं हटती।