कभी लग्जरी का सिंबल रहा एसी आज लोगों की जरूरत बनता जा रहा है। लेकिन कम ही लोगों को पता है कि एसी घर में आने के साथ कुछ बीमारियों को भी न्योता दे देता है। इंटरनेशनल जनरल ऑफ एपेडीमियोलॉजी के शोध के अनुसार अगर एसी से बाहर निकलने वाली गर्म हवा के बाहर निकलने के उचित प्रबंध न हो तो ये कई बैक्टीरिया के पनपने की वजह बन जाता है। एसी से कमरे में पॉजिटिव आयन निकलते हैं जब कमरे की हवा में इनकी संख्या बढ़ जाती है तो इनसे थकान और चिडचिड़ापन जैसे लक्षण दिखते हैं। एसी से कमरे और उसके बाहर के तापमान और आद्र्रता में अंतर होता है। एसी का इस्तेमाल करने वालों में गर्मी में गले में खरास, सांस में दिक्कत जैसी परेशानियां भी देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही एसी में रहने वाले के स्किन पर भी असर पड़ता है। एसी के इस्तेमाल से होने वाला ध्वनि व वायु प्रदूषण भी नुकसानदायक होता है।
मोबाइल फोन को कई स्टडीज में फ्रिज की तरह ही टायलेट से भी गंदा बताया है। साफ सफाई से होने वाली बीमारियों का खतरा तो मोबाइल लाता ही है। मोबाइल फोन को हम बार-बार हाथ से छूतें हैं। हमारे हांथों में लगी गंदगी से मोबाइन संक्रमित होता है। लेकिन मोबाइल से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता इससे निकलने वाले रेडियो फ्रिक्वेंसी तरंगों को लेकर जताई जाती है। ब्रिटेन के कैंसर रिसर्च संगठन के शोध के अनुसार रेडियो फ्रीक्वेंस में थर्मल इफेक्ट होता है। यह शरीर का तापमान बढ़ाता है। ज्यादा देर पर बात करने पर कान गर्म होने का यही वजह है। इससे कान संबंधी कई बीमारियों के होने का सीधा खतरा तो है ही साथ ही तापमान बढऩे से दिमाग की गतिविधि भी बढ़ जाती है। अभी दुनियाभर में रिसर्च हो रहे हैं कि इसका दिमाग पर क्या असर पड़ता है। अगर मोबाइल की रेडियोफ्रीक्वेसी कम है तो सिर दर्द जैसे आम समस्याएं देखने को मिलती हैं। दावा तो यहां तक किया जाता है कि मोबाइल से ब्रेन ट्यूमर का भी खतरा है। लेकिन कैंसर जैसी घातक बीमारियां लबे वक्त में होती हैं ऐसे में अभी तक इसके ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं आए हैं। हालांकि वल्र्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी इस तरह के खतरे का अंदेशा जताया है।
ब्रिटेन के हाइजीन काउंसिल ने हाल ही में फ्रिज की साफ-सफाई को लेकर एक सर्वे किया। सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले रहे। इसके मुताबिक ज्यादातर घरों में फ्रिज हाइजीन के मानक पर फेल रहे। 15 फीसदी घरों में फ्रिज में बीमारियां पैदा करने वाले बैक्टीरिया की भरमार रही। काउंसिल के सर्वे के मुताबिक ज्यादातर फ्रिजों की हालत टायलट से भी बदतर रही। सर्वे में फ्रिज में सबसे ज्यादा ई कोलाई बैक्टीरिया पाया गया। वैसे तो ये बैक्टीरिया कई बीमारियों का जनक है लेकिन फूड प्वाइजनिंग की भी बड़ी वजह है।
लैपटॉप है तो बड़े काम की चीज। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिंदगी आसान बना देने वाला ये उपकरण आपको मुत में कई बीमारियां भी देता है। लैपटॉप से निकलने वाली गर्मी से स्पर्म की संया घट सकती है। न्यूयॉर्क के स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार लगातार लैपटॉप इस्तेमाल करने वालों के गर्दन, पीठ, कंधे और कलाई में दर्द की शिकायत आम बात है। लैपटॉप में इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादातर वाई-फाई तकनीक से होता है। कुछ स्टडीज का दावा है कि वाई-फाई से निकलने वाले रेडिएशन का बच्चों पर तेजी से असर पड़ता है। रेडिएशन का असर बच्चों के दिमाग पर पड़ता है। हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई पुष्ट दावा नहीं है। लेकिन कुछ पश्चिमी देशों में इसे लेकर बाकायदा एडवायजरी जारी हुई हैं। ये तो हुई शरीर संबंधी परेशानियां लेकिन बैटरी को गलत ढंग से चार्ज करने या बैटरी में डिफेक्ट होने पर तो सीधे जान जाने का खतरा होता है। दरअसल इससे लैपटॉप में धमाके का खतरा होता है।
किचन में ज्यादा इस्तेमाल होने वाला एक और उपकरण है माइक्रोवेव ओवन। स्वीटजरलैंड के वैज्ञानिक हर्टल के एक शोध (1992) के अनुसार ओवन से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा होता है। दरअसल ओवन में खाना रेडिएशन के जरिए ही गर्म होता है। ओवन पिछले 40 सालों से चलन में हैं लेकिन आज तक किसी रिसर्च में इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि ओवन पूरी तरह से आपके लिए सुरक्षित है। ओवन के विरोधियों का दावा है कि इसके इस्तेमाल से खाने की पौष्टिकता नष्ट होती है। एक हद तक ये सही भी है। खाने को अगर उचित तापमान पर गर्म न किया जाए या बार-बार गर्म किया जाए तो खाने की पौष्टिकता नष्ट होती है। दूसरी तरफ अगर आप ये सोचते हैं कि ओवन से आपके हाथ और उंगलियां जलने से सुरक्षित रहती है तो ये आपको गलतफहमी है। अगर ओवन से रेडिएशन लीक होता है तो आपके जलने का खतरा सौ फीसदी है।