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जिले का यह इंस्पेक्टर सरकारी नौकरी से हुआ बर्खास्त, जानिए क्यों

locationकटनीPublished: Oct 19, 2019 11:07:58 am

Submitted by:

dharmendra pandey

-मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड भोपाल ने की कार्रवाई -छह हजार रुपये की रिश्वत लेते लोकायुक्त के हाथों पकड़ाए जाने पर अदालत ने सुनाया था पांच साल की सजा का फैसला

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फाइल फोटो

कटनी. मध्यप्रदेश सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड की शाखा कटनी में क्वालिटी इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ रहे हरिकिशन सोनकर को बर्खास्त कर दिया गया है। इस सबंध में मध्यप्रदेश सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक भोपाल अभिजीत अग्रवाल ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं। रिश्वत लेने के मामले में लोकायुक्त के हाथों ट्रेप किए गए क्वॉलिटी इंस्पेक्टर सोनकर को विशेष न्यायालय लोकायुक्त की अदालत ने पांच साल की सजा का फैसला सुनाया था। जिसके बाद हरिकिशन सोनकर को कॉर्पोरेशन ने मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम (108) के प्रावधान के अंतर्गत बर्खास्तगी की कार्रवाई की।
यह था मामला
माधवनगर निवासी बंटू रोहरा की राइस मिल है। उनका छोटा भाई लकी रोहरा कंपनी के प्रोपाइटर हैं। सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड से 4 हजार 30 क्विंटल धान मिलिंग का अनुबंध था। जिसके चलते उसने चावल के लाट जमा कराए थे। लाट नंबर 14 को पास करने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम (नान) विभाग में क्वॉलिटी इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ रहे हरिकिशन सोनकर ने उससे 6 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। राशि नहीं मिलने पर इंस्पेक्टर ने अगला लाट पास नहीं करने को कहा था। जिसके बाद 12 सितंबर 2014 को बंटू रोहरा ने जबलपुर जाकर लोकायुक्त पुलिस से शिकायत की थी। 15 सितंबर 2014 को लोकायुक्त पुलिस ने क्वालिटी इंस्पेक्टर सोनकर को 6 हजार रुपये की रिश्वत लेते सेंट्रल वेयरहाउस कॉर्पोरेशन कार्यालय कटनी के सामने से गिरफ्तार किया था। कार्रवाई प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विशेष न्यायालय लोकायुक्त की अदालत में अभियोग पत्र पेश हुआ था। साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश ने इंस्पेक्टर को दोषी माना था और सजा का फैसला सुनाया था। अधिनियम की धारा 7 में चार साल की सजा व 5 हजार रुपये का जुर्माना। धारा 13(2) के तहत पांच साल की सजा व 5 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया था।

-हरिकिशन सोनकर की बर्खास्तगी का पत्र मिला है। जरूरी कार्रवाई की जा रही है। पहले ही निलंबित कर दिया गया था।
पीयूष माली, जिला प्रबंधक, नान।

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