गांव में बाहरी व्यक्तियों के पहुंचते ही जानकारी ली जाती है और कहा जाता है कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कारण प्रवेश नहीं दिया जाएगा। गांवबंदी करने वाले युवा बताते हैं कि बाहरी व्यक्तियों ने एहतियात बरता है या नहीं इसकी पुष्टि हो नहीं सकती है। कोरोना के प्रभाव के गांव के लोग सुरक्षित रहें, इसलिए गांवबंदी की गई है। कोरोना को हराने के लिए गांवबंदी में पोड़ी गांव के युवा कलिप शर्मा, अनिलेश, विनोद, सुशील, विजय, अजय, मुन्ना सिंह मराबी, श्याम सुंदर व उमेश शर्मा सहित अन्य युवा आगे आए। पत्थर एकत्रित कर गांव के प्रवेश द्वार पर रखा और लोगों को प्रवेश से रोक दिया।
गांवबंदी पर राजकुमार शर्मा बताते हैं कि जानते में गांवबंदी की नौबत पहली बार आई है। पर क्या करें, जब दुनिया के बड़े देशों में लॉकडाउन हो रहा है तो गांव बंदी कौन सी बड़ी बात है।
वहीं रामगोपाल शर्मा का कहना है कि कोरोना के प्रभाव से दुनियाभर में तबाही की खबर सुनते आ रहे हैं। गांव के बच्चे और बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के लिए गांवबंदी की गई। सरपंच सुशीला बाई बतातीं हैं कि गांव के युवाओं का मानना है कि गांवबंदी से बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश रुक जाएगा तो गांव में रहने वाले लोग संक्रमण के दुष्प्रभाव से बचे रहेंगे।
ऐसे चल रही गांव की अर्थव्यवस्था
– कुछ घरों से बाहर से दूध लेते थे, गांवबंदी के बाद मोहल्ले में दूसरे घरों से लेने लगे।
– सब्जी व दूसरी जरुरतें घर के अंदर बाड़ी से पूरी हो रही है। किसी के घर भाजी है तो किसी के घर पपीता। आपस में सब्जी बदलकर स्वाद भी बदल लेते हैं।
– साड़ी व कपड़े के अलावा खिलौने एवं सौंदर्य सामग्री बेचने के लिए आने वाले लोगों को गांव में आने से रोक दिया गया। ग्रामीण कहते हैं जब तक कोरोना है इन वस्तुओं के बिना काम चला लेंगे।