बतादें कि नगर निगम द्वारा ऐसे मनमाने निर्माण को रोकने के लिए प्रत्येक वार्ड में टाइमकीपर की ड्यूटी लगाई जाती है। टाइमकीपर के उपर इंजीनियर, फिर सहायक यंत्री और कार्यपालन यंत्री फिर आयुक्त। इधर, 26 अक्टूबर को 10 लोगों का मनमाना निर्माण पकडऩे के 48 घंटे बाद भी स्थानीय कर्मचारियों की जवाबदेही तय नहीं की गई। नागरिकों का आरोप है कि नगर निगम के प्रशासक कलेक्टर प्रियंक मिश्रा हैं, इसके बाद भी लापरवाह कर्मचारियों की जवाबदेही तय कर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
नक्शा पास होने वाले निर्माण में विपरीत निर्माण पर आर्किटेक्ट की जवाबदेही तय किए जाने का प्रावधान है। शहर में कई निर्माण ऐसे हैं, जिसमें आर्किटेक्ट राडार पर हैं। नगर निगम आयुक्त सत्येंद्र धाकरे ने बताया कि नक्शा पास किए बिना और नक्शा के विपरीत होने वाले निर्माण को रुकवाया गया है। इस मामले में निश्चित तौर पर जिम्मेदार कर्मचारियों की जवाबदेही तय कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इनके निर्माण पर हुई थी कार्रवाई
– सतीश सरावगी और मनोज प्यासी व कमरुद्दीन बरगवां.
– अशोक कुशवाहा व केके दुबे जगजीवनराम वार्ड.
– अनिल कुमार रामजानकी हनुमान वार्ड.
– कमल कुमार निषाद रफी अहमद किदवई वार्ड.
– अशोक नारंग, पंकज जेवरानी संतकवरराम वार्ड माधवनगर.