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जज ने बेटे से कहा मां को बुलाकर लाओ, कोर्ट में दादी के पहुंचते ही नातिन लिपटी गले, बहूं ने भी मांगी माफी

locationकटनीPublished: Apr 11, 2019 11:28:43 am

Submitted by:

dharmendra pandey

हर माह न्यायालय के चक्कर लगाने के बाद समझ में आई बात, 8 साल से कोर्ट में चल रहा था केस, टूटते बचा परिवार
 

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कटनी. पति-पत्नी के बीच ८ साल से चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया। टूटते परिवार को जोडऩे में जज व दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने परिवार क्या होता है? इसका महत्व बताया। इसके बाद दोनों ने साथ रहने का निर्णय लिया और वकीलों से केस को खत्म करने को कहा।

अधिवक्ता ब्रम्हमूर्ति तिवारी ने बताया कि विजयराघवगढ़ के परसवारा निवासी महिला कल्पना तिवारी की बभनगवा निवासी नीरज बडग़ैया के साथ साल २००९ में शादी हुई थी। कल्पना बीए तक पढ़ी लिखी है। जबकि युवक नीरज एमए किया हुआ है। शादी के दो साल बाद ही छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होना लगा। इस बीच दोनों की एक बेटी पैदा हुई। इसके बाद कल्पना ससुराल छोड़कर बेटी के साथ मायके में जाकर रहने लगी। साल २०१३ में मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा, लेकिन सुलह नहीं हुई। इसके परिवार न्यायालय पहुंचा। दोनों की पेशी शुरू हो गई। साल २०१८ में नीरज ने तलाक के लिए अर्जी लगाई। पेशी पर पहुंचा तो जज ने कहा कि मां को बुलाकर लाओ। अगली पेशी में युवक मां के साथ पहुंचा। यहां पर दादी को देख नातिन जाकर लिपट पड़ी। ८ साल बाद नातिन से मिली दादी ने उसको गले लगा लिया। दुलारने लगी। बहूं को भी अपनी गलती का अहसास हुआ। सास के पास जाकर बहंू ने पैर पकड़कर पुरानी गलतियों की माफी मांगी। मां का कर्तव्य निभाते हुए सास ने बहूं को गले से लगा लिया। मंगलवार को फिर से पेशी में दोनों लोग अपने-अपने वकीलों के साथ कोर्ट पहुंचे। अधिवक्ता कक्ष में ही दोनों ने एक साथ जीने मरने की कसमें खाई और बेटी के भविष्य के लिए दोनों ने फिर से साथ रहने का निर्णय लिया। इधर, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने मामले की खात्में के लिए अर्जी लगाई। इस दौरान महिला पक्ष के वकील शाकिर खान भी मौजूद रहे।

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