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विद्यार्थियों ने जाना सींग खाद एवं समाधि खाद निर्माण का तरीका, तिलक कॉलेज में दिया जा रहा जैविक कृषि का प्रशिक्षण

locationकटनीPublished: Mar 14, 2020 10:45:24 am

Submitted by:

balmeek pandey

शासकीय तिलक कॉलेज में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजनान्तर्गत विद्यार्थियों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राचार्य डॉ. सुधीर खरे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्रभारी डॉ वीके द्विवेदी एवं सहप्रभारी ज्योत्सना अठ्या, डॉ. जीएम श्रीवास्तव के सहयोग से दिया जा रहा है।

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Training in organic agriculture is being given in Tilak College

कटनी. शासकीय तिलक कॉलेज में स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजनान्तर्गत विद्यार्थियों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राचार्य डॉ. सुधीर खरे के मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्रभारी डॉ वीके द्विवेदी एवं सहप्रभारी ज्योत्सना अठ्या, डॉ. जीएम श्रीवास्तव के सहयोग से दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में जैविक कृषि पाठशाला नैगवां के संचालक रामसुख दुबे द्वारा स्वरोजगार एवं स्वाववलंबन के लिए विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इस प्रशिक्षण में सिर्फ थ्योरी ही नहीं बल्कि प्रयोग कर विद्यार्थियों को जैविक कृषि में पारंगत किया जा रहा है, ताकि ये विद्यार्थी अभिभावकों के साथ मिलकर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करते हुए जैविक कृषि को बढ़ावा दें।

 

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बताया कैसे तैयार करना है खाद
प्रशिक्षण के क्रम में सींगा खाद का निर्माण करना बताया गया। देशी गाय के सींग में ताजा गोबर भरकर शारदेय नवरात्रि में 2 फीट गड्ढा खोदकर सींग को नुकीला भाग ऊपर करके मिट्टी ऊपर तक भर देते हैं। चैत्र नवरात्रि में सींग को निकालकर 30 ग्राम खाद को 13 लीटर पानी में अच्छी तरह डंडे से हिलाकर इसे घोलकर 100 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ में बोनी से पहले जमीन में छिड़काव करते हैं। दूसरा छिड़काव फसल की 20 दिन की अवस्था में करते हैं। खली का जैविक खेती में उपयोग। विभिन्न तिलहनी पौधों एवं फसलों के बीजों से तेल निकालने के बाद प्राप्त खली में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी दी गई। इसके लिए सरसों तिल अलसी एवं महुआ, अरंडी, नीम, करंज आदि फसलों पौधों के उपयोग के बारे में बताया।

 

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इस खाद की भी दी जानकारी
समाधि खाद के निर्माण के लिए बताया कि मृत देशी गाय को 7 फीट लंबा 5 फीट चौड़ा एवं 5 फीट गहरा गड्ढा खोदकर पेड़ के नीचे छायादार स्थान में समाधि दी जाती है। इसके लिए 100 किलो गाय का ताजा गोबर 20 लीटर गौमूत्र 5 किलो गुड़ 5 किलो नमक 5 किलो चूना 100 किलो मिट्टी डालकर मिश्रण कर 50 लीटर पानी से खूब मिलाकर इसका कुछ भाग नीचे उसके ऊपर मृत गाय शेष भाग ऊपर डालकर मिट्टी से गढ्ढा बंद कर देते हैं। 1 वर्ष में यह गलकर खाद तैयार हो जाती है। हड्डियों एवं सींग को अलग कर इस खाद को उपयोग करने से फसल उत्पादन में वृद्धि व बाजार पर निर्भरता कम होती है।

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