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सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ रहा अभिभावकों का रुझान, निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा की सीटें आधी खाली

locationकटनीPublished: Jun 15, 2019 11:45:35 am

जिले के 401 निजी स्कूलों में 4 हजार से ज्यादा सीटें आरटीइ के आरक्षित की गई, इसमें आधी ही भर पाईं।
अभिभावकों का कहना है कि सरकारी स्कूल के बच्चे पढ़ाई में बेहतर कर रहे हैं, इसलिए बच्चों को भेजेंगे।
बोर्ड परीक्षा परिणाम में लगातार हो रहे सुधार के बाद उन स्कूलों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है जहां परिणाम औसत से कम रहा है

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सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़ रहा अभिभावकों का रुझान

कटनी. सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने को लेकर लगातार हो रहे प्रयास का असर अब अभिभावकों पर पडऩे लगा है। ज्यादातर अभिभावक अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने पर रुचि ले रहे हैं। अभिभावकों के बदलते विचार का असर निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के तहत होने वाले प्रवेश पर भी दिख रहा है।
आरटीइ के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश के बाद बच्चों को मुफ्त में शिक्षा का प्रावधान है, इसके बाद भी अभिभावक बच्चों का प्रवेश करवाने में रुचि नहीं ले रहे हैं। आरटीइ के तहत जिलेभर में छोटे-बड़े मिलाकर 401 निजी स्कूलों में 4043 सीटें आरक्षित किया गया था। इसमें 2073 सीटों पर ही बच्चों ने प्रवेश लिया। आधी सीटें खाली रह जाने को लेकर माना जा रहा है कि अभिभावक अब अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने पर रुचि नहीं ले रहे हैं।

अभिभावकों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं में सरकारी स्कूल के बच्चों के परिणाम में आशाजनक सुधार हो रहा है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चों के अभिभावकों को गणवेश से लेकर पुस्तकें व अन्य खर्च में भी बचत होती है। जिस कारण अभिभावक अब बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं।
शिक्षा विभाग के डीइओ एसएन पांडेय का कहना है कि आरटीइ के तहत जिलेभर में आरक्षित चार हजार से ज्यादा सीटों में आधी खाली रह गई है। इसके पीछे अभिभावकों द्वारा बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना भी एक कारण है।

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