विधानसभा पहुंचा मामला
इस पूरे मामले को बड़वारा विधायक विजयराघवेंद्र सिंह ने आड़े हाथों लिया है। इस तरह से निराश्रित शुल्क जमा न कराना, कोई कार्रवाई न करना व कलेक्टर के इस तरह के पत्राचार को अनैतिक बताया। बसंत सिंह ने कहा है कि जब कोई कार्रवाई ही नहीं हुई तो फिर कठिनाई का उल्लेख क्यों किया गया। राजनीतिक दबाव के कारण राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। भू-राजस्व की भांति फर्मों से राशि वसूलने का प्रावधान है बावजूद इसके गरीबों के उत्थान की रशि पर डकैती डालने जैसा काम हो रहा है। विधानसभा में प्रश्न संख्या 15 क्रमांक 106 के माध्यम से मुद्दा उठाया है। इस मामले की शिकायत प्रमुख सचिव से भी की है।
खास-खास:
– मप्र निराश्रितों एवं निर्धन व्यक्तियों की सहायता अधिनियम 1970 के आधीन जारी अधिसूचना 27 जनवरी 2000 के अनुसार निराश्रित सहायता राशि पर छूट दिए जाने का नहीं है प्रावधान।
– तिलहन, दलहन, अनाज, कपास एवं सोयाबीन पर 0.2 प्रतिशत याने की प्रत्येक 100 रुपये पर 20 पैसे शुल्क का है प्रावधान, कृषि उपज की क्रय कीमत पर होती है गणना।
– प्रमुख सचिव से की गई शिकायत में विधायक बसंत सिंह ने कहा कि मंडी सचिव पीयूष शर्मा व अपर संचालक केदार सिंह ने व्यापारियों को लाभ पहुंचाने नहीं की है वसूली।
– तुअरदाल मिल संघ ने 2016 में उच्च न्यायालय में राहत के लिए दायर किया था प्रकरण, याचिका क्रमांक 9194/2016 28 नवंबर 2016 को हो गई थी खारिज, इसके बाद भी नहीं हुई वसूली की प्रक्रिया।
इनका कहना है
पूर्व कलेक्टर ने मिलर्स की मांग पर निराश्रित शुल्क माफ करने के लिए राज्य शासन को भेजा है। उसे लोकहित में माफ करने की मांग की गई है। विभाग के दिशा-निर्देशन में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पीयूष शर्मा, मंडी सचिव।