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सीएम ने कलेक्टर को हटाया, जाते ही कारगुजारी उजागर, 25 करोड़ के राजस्व मामले में की है यह पैरवी

locationकटनीPublished: Dec 24, 2020 10:25:18 am

Submitted by:

balmeek pandey

– दाल मिलर्स पर 25 करोड़ निराश्रित शुल्क बकाया, कलेक्टर ने कर दी माफी की पैरवी1998 से 2017 तक की बकाया है राशि, मंडी प्रबंधन उद्योगपतियों से नहीं वसूल पाया राशि- मंडी प्रबंधन की भी सामने आई गंभीर बेपरवाही, व्यापारियों को लाभ पहुंचाने की दिशा में हो रहा काम

सीएम ने कलेक्टर को हटाया, जाते ही कारगुजारी उजागर, 25 करोड़ के राजस्व मामले में की है यह पैरवी

सीएम ने कलेक्टर को हटाया, जाते ही कारगुजारी उजागर, 25 करोड़ के राजस्व मामले में की है यह पैरवी

कटनी. कृषि उपज मंडी कटनी के दाल मिलर्स पर 25 करोड़ रुपये निराश्रित शुल्क बकाया है। इसमें मंडी प्रबंधन व जिला प्रशासन वसूली नहीं कर पाया। हद तो तब हो गई जब पूर्व कलेक्टर शशिभूषण सिंह ने उद्योगपतियों की पैरवी करते हुए इसे लोकहित में माफ करने की मांग शासन को भेज दी। 20 फरवरी को कलेक्टर ने 20 फरवरी 19 को पत्र क्रमांक 3211 लिखकर यह उल्लेख किया कि बकाया निराश्रित शुल्क में कठिनाई होने व दाल मिल बंद होने जैसी संभावना बताकर इसे लोकहित में माफ करने की मांग कर दी है। बता दें कि विदेशों एवं अन्य प्रदेश से आयातित दलहन पर 1998 तक मंडी शुल्क की छूट दी जाती रही है। 1998 तक 2017 तक निराश्रित शुल्क व्यापारियों ने नहीं जमा किया। इस पर मंडी बोर्ड ने न तो वसूली की और ना ही कोई कार्रवाई। हैरानी की बात तो यह है कि इस मामले में 18 फरवरी 2019 को केदार सिंह अपर संचालक नियमन मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने मंडी सचिव को एक पत्र क्रमांक बी-6/नियमन/1361 लिखकर यह निर्देश दिए कि दाल मिलर्स व व्यापारियों पर वसूली शेष रहने के बाद भी लाइसेंस नवीनीकरण पर रोक न लगाई जाए। जबकि इस तरह का आदेश व्यापारियों को लाभ पहुंचाने व मंडी अधिनियम के विपरीत है।

विधानसभा पहुंचा मामला
इस पूरे मामले को बड़वारा विधायक विजयराघवेंद्र सिंह ने आड़े हाथों लिया है। इस तरह से निराश्रित शुल्क जमा न कराना, कोई कार्रवाई न करना व कलेक्टर के इस तरह के पत्राचार को अनैतिक बताया। बसंत सिंह ने कहा है कि जब कोई कार्रवाई ही नहीं हुई तो फिर कठिनाई का उल्लेख क्यों किया गया। राजनीतिक दबाव के कारण राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है। भू-राजस्व की भांति फर्मों से राशि वसूलने का प्रावधान है बावजूद इसके गरीबों के उत्थान की रशि पर डकैती डालने जैसा काम हो रहा है। विधानसभा में प्रश्न संख्या 15 क्रमांक 106 के माध्यम से मुद्दा उठाया है। इस मामले की शिकायत प्रमुख सचिव से भी की है।

खास-खास:
– मप्र निराश्रितों एवं निर्धन व्यक्तियों की सहायता अधिनियम 1970 के आधीन जारी अधिसूचना 27 जनवरी 2000 के अनुसार निराश्रित सहायता राशि पर छूट दिए जाने का नहीं है प्रावधान।
– तिलहन, दलहन, अनाज, कपास एवं सोयाबीन पर 0.2 प्रतिशत याने की प्रत्येक 100 रुपये पर 20 पैसे शुल्क का है प्रावधान, कृषि उपज की क्रय कीमत पर होती है गणना।
– प्रमुख सचिव से की गई शिकायत में विधायक बसंत सिंह ने कहा कि मंडी सचिव पीयूष शर्मा व अपर संचालक केदार सिंह ने व्यापारियों को लाभ पहुंचाने नहीं की है वसूली।
– तुअरदाल मिल संघ ने 2016 में उच्च न्यायालय में राहत के लिए दायर किया था प्रकरण, याचिका क्रमांक 9194/2016 28 नवंबर 2016 को हो गई थी खारिज, इसके बाद भी नहीं हुई वसूली की प्रक्रिया।

इनका कहना है
पूर्व कलेक्टर ने मिलर्स की मांग पर निराश्रित शुल्क माफ करने के लिए राज्य शासन को भेजा है। उसे लोकहित में माफ करने की मांग की गई है। विभाग के दिशा-निर्देशन में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पीयूष शर्मा, मंडी सचिव।

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