केस-1-घर से मंगाया रुपया तब दिया भाड़ा
ट्रक में सवार होकर मुंबई से पश्चिम बंगाल जा रहे मजदूरों ने बताया कि वे मुंबई में बेल्डिंग का काम करते हैं। लॉक डाउन की वजह से 22 मार्च से काम धंधा बंद है। खाने का भी इंतजाम नहीं हो रहा। अभी तक किसी तरह से गुजर बसर किया। घर तक पहुंचने के लिए वाहन वाले को देने के लिए भाड़ा भी नहीं था। फोन कर सभी ने अपने-अपने परिजनों से 5000-5000 रुपये मंगवाएं। तब जाकर वाहन वाले का भुगतान किया और वह चलने को राजी हुआ।
केस-2-3000रुपये पर व्यक्ति ट्रक वाले ने लिया है मुंबई से उत्तरप्रदेश छोडऩे का भाड़ा
मुंबई से मजदूरों को लेकर यूपी जा रहा एक ट्रक सुबह 9.30 बजे बाइपास चाका पहुंचा। इसमें 45 मजदूर बैठे थे। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क भी इनके चेहरे से गायब थी। उत्तरप्रदेश घर जा रहे मजदूरों ने बताया कि मुंबई में वे काम करते थे। कोरोना की वजह से लॉक डाउन में फंस गए। भूखों मरने की नौबत आ गई। घर जाने के लिए ट्रक वाले से चर्चा की तो उसने पर सवारी 3000रुपये में उत्तरप्रदेश छोडऩे का सौंदा किया। ट्रक में सवार होकर घर जा रहे मजदूरों ने बताया कि रास्ते में जांच तो कई जगह हुई लेकिन किसी ने रोका नहीं। जाने दिया।
-केस-3-परिवार को ऑटो में बिठाया और चल दिए घर
बिहार के कैमोर जिले के रहने वाले लोग 10 ऑटो में सवार होकर कटनी पहुंचे। यहां से बिहार जाने की तरफ जाने वाले रास्ते के बारे में लोगों से पूछताछ की। इस दौरान ऑटो में सवार लोगों ने बताया कि वे मुंबई में ऑटो चलाने का काम करते है। वाहन चल नहीं रहा। कोरोना का संक्रमण भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सभी लोगों ने अपने परिवार को ऑटो में बिठाया और घर चल दिए। बताया कि 8 मई की रात वे मुंबई से चले है। तीन दिन लगातार चलने के बाद चौथे दिन वे सुबह 10 बजे कटनी पहुंचे। लोगों ने बताया कि जब स्थिति सामान्य हो जाएगी तो फिर से अपना वाहन लेकर चले जाएंगे।
केस-4
जयपुर मार्बल कंपनी में गए थे काम करने, 9 दिन की मजदूरी, सेठ ने नहीं दिए रुपये
डिंडोरी जिला शाहपुर से लगभग 20 की संख्या में कुछ मजदूर एक मार्बल कंपनी में काम करने थे। कुछ वहीं पर मकान में प्लस्टर करने गए थे। मार्बल कंपनी में काम करने वाले संतलाल ने बताया कि 17 मार्च को गांव से जयपुर गए थे। 9 दिन तक काम किए। इसके बाद बंद हो गया। सेठ ने रुपये भी नहीं दिए। रुपये भी खत्म हो गए थे। मजदूरों ने बताया कि जयपुर से कुछ दूर पैदल चले। फिर ट्रक मिला। उसने 50 रुपये पर व्यक्ति लिया। कोटा लाकर छोड़ा। यहां पर पिकअप वाहन मिला। उसने 180 रुपये पर सवारी लेकर बार्डर पर छोड़ा। वहां पर पुलिस से मदद मांगी। तो बस में बिठवाकर कटनी भिजवाया। सोमवार सुबह पीरबाबा बायपास से पैदल मजदूर भटकर कर शहर पहुंचे। लोगों से डिंडोरी जाने का मार्ग पूछा, फिर पैदल ही चल दिए। मजदूरों ने बताया कि लगातार चार दिन हो गया है चलते।