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mp election 2018 दो माह में इतने बढ़े मतदाता कि इनका मिजाज बदल सकता है जीत का समीकरण

locationकटनीPublished: Oct 13, 2018 09:18:10 am

31 जुलाई से 27 सितंबर के बीच चार विधानसभा में जुड़े 6 से 8 हजार मतदाता, 2003 से 2013 तक हुए चुनाव में पांच मामलों में 5548 से 929 वोट में तय हुई जीत

They take so much votes that the equation of BJP-Congress candidate's

bjp congress bsp

कटनी. विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां जीत-हार के समीकरण में लग गए हैं। तो इस बार सबका ध्यान उन युवा व नये मतदाताओं पर है, जिनका नाम बीते तीन माह के दौरान मतदाता सूची में जुड़ा है। जिले के चारों विधानसभा में 31 जुलाई से 27 सितंबर के बीच 30 हजार 439 मतदाताओं का नाम सूची में जुड़ा है। इसमें प्रत्येक विधानसभा में 6 से 8 हजार नये मतदाता शामिल हैं। खासबात यह है कि 2003 से 2013 के बीच हुए विधानसभा चुनाव के दौरान चारों विधानसभा में पांच ऐसे मामले रहे हैं जिनमें जीत-हार का अंतर इस बार मतदाता सूची में बढ़े नये मतदाताओं से कम रहा है। यही बात राजनीतिक पार्टियों की धड़कने भी बढ़ा रहा है। इस बार मतदाता सूची में बढ़े इन नये मतदाताओं का मूड क्या होगा यह तो आने वाले चुनाव और उसके परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा। बहरहाल राजनीतिक पार्टियों ने भी यह मान लिया है कि नये मतदाताओं का मिजाज जीत का समीकरण बदल सकता है।
31 जुलाई से 27 सितंबर के बीच जिले के चारो विधानसभा में पुरुष और महिला मतदाताओं की बढ़ी संख्या पर नजर डालें तो बड़वारा में 1548 और 4920 मिलाकर 6468 मतदाता बढ़ गए। इसी प्रकार विजयराघवगढ़ में 2235 और 6088 मिलाकर 8323, मुड़वारा में 2860 और 4838 मिलाकर 7698 और बहोरीबंद में 2638 पुरुष व 5312 महिला मतदाता मिलाकर कुल 7950 मतदाता बढ़े हैं।
दूसरी ओर 2003, 2008 और 2013 विधानसभा चुनाव में जिले के चारो विधानसभा में जीत-हार पर नजर डालें तो पांच ऐसे मामले रहे हैं, जिनमें जीत का अंतर कम मतों का रहा है। इसमें 2013 में संजय पाठक प्रतिद्वंद्वी पद्मा शुक्ला से 929 वोट से जीते थे तो इसी चुनाव में बड़वारा विधानसभा में मोती कश्यप ने बसंत सिंह से 3287 मतों से ही जीत दर्ज कर पाए थे। 2008 में बहोरीबंद विधानसभा में शंकर महतो प्रतिद्वंदी निशिथ पटेल से महज 1674 मतों से चुनाव हार गए थे। 2003 चुनाव की बात करें तो बहोरीबंद में निशिथ पटेल ने प्रभात पांडेय से 402 मत तो बड़वारा में सरोज नायक प्रतिद्वंदी सुभाष पटेल से 5548 वोट से ही चुनाव जीत सके थे।
बढ़े मतदाता और चुनाव में जीत-हार में कम मतों के बाद इस बार राजनीतिक पार्टियों के रणनीति भी बदल ली है। युवा वोटर को साधने के लिए सोशल मीडिया पर युवाओं को प्रभावित करने वाले छोटे वीडियो व फोटो शेयर किये जा रहे हैं।
कॉलेज के आसपास राजनीतिक कार्यक्रम हो रहे हैं तो ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी के सिद्धांत से परिचय कराया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं से सीधे मुलाकात कर उन्हे पार्टी से जोडऩे के प्रयास हो रहे हैं।

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