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चार बच्चों को पढ़ा रहीं दो शिक्षक, स्कूूल मर्ज करने की चिट्ठी दो माह से भोपाल में अटका

locationकटनीPublished: Jan 25, 2020 11:40:48 am

स्कूल के पीछे स्मैक का नशा कर रहे युवकों के कारण तीन बालिकाओं की पढ़ाई छूटी.
शहर विधायक के घर के समीप संचालित है सावरकर वार्ड का यह स्कूल.
30 बच्चों के बीच एक शिक्षक का प्रावधान, 24 हजार 499 करोड़ रुपये प्रदेश का शिक्षा बजट.

Two teachers among four children in government primary school Savarkar ward.

शासकीय प्राथमिक शाला सावरकर वार्ड में चार बच्चों के बीच दो शिक्षक.

कटनी. कक्षा पांचवी के छात्र ललित और सागर, पहली के साहिल और दूसरी कक्षा के कुलदीप को पढ़ाने के लिए शिक्षक उषा ठाकुर और सहायक अध्यापक सुनीता उरवेती। सरकारी स्कूल में शिक्षा की यह व्यवस्था शहर विधायक संदीप जायसवाल के घर के समीप संचालित स्कूल की है। यहां कक्षा तीसरी में पढ़ाई कर रहीं पलक, महक और रुपा अब स्कूल नहीं आती हैं। कारण है स्कूल के पीछे स्मैक के नशेडिय़ों का उपद्रव और गंदी हरकतें। खासबात यह है कि कम छात्र संख्या वाले इस स्कूल को बंद कर समीप के सरकारी स्कूल मेंं मर्ज करने का प्रस्ताव राजधानी भोपाल भेजा गया है। 6 नवंबर को भेजा गया यह पत्र अभी भी फाइलों से बाहर नहीं निकली। जिला शिक्षा केंद्र के एपीसी एनपी दुबे बताते हैं कि सावरकर वार्ड स्थित प्राथमिक शाला को यशोदा बाई प्राथमिक शाला स्कूल में मर्ज किया जाएगा। उच्चााधिकारियों के निर्देश का इंतजार है।
बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए शिक्षकों की कमीं नहीं हो इस पर सरकार का विशेष ध्यान है। तीस बच्चों के बीच एक शिक्षक की व्यवस्था का प्रावधान के बीच यहां दो शिक्षकों में हर माह वेतन में ही सत्तर हजार रुपये से ज्यादा राशि खर्च होने के बाद महज चार बच्चों की पढ़ाई हो पा रही है। स्कूल मर्ज होने से शिक्षकों का लाभ दूसरे बच्चों को मिलता।
Children studying in a theater-run primary school.
रंगमंच में संचालित प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई करते बच्चे. IMAGE CREDIT: Raghavendra

6 साल से रंगमंच में लग रहा स्कूल, साल के दो नवरात्रि दस दिन अघोषित छुट्टी

ऐसा ही है हमारा सिस्टम

जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर कैलवाराकला ग्राम पंचायत के धरमपुरा गांव में 6 साल से प्राइमरी स्कूल रंगमंच में लग रहा है। शुरू के दो साल तो बच्चों ने पेड़ के नीचे ही पढ़ाई की है। कक्षा एक से पांच तक के 26 बच्चों को दो शिक्षक चतूबरा नुमा मंच पर एक साथ ही बैठाकर पढ़ा रहे हैं। ग्रामीण हर साल नवरात्रि का उत्सव इसी रंगमंच में मनाते हैं। इस बीच दस दिन बच्चों के लिए अघोषित छुट्टी होती है। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष व शिक्षा समिति के अध्यक्ष अशोक विश्वकर्मा बताते हैं कि नवीन स्कूल खुलने के बाद भवन के लिए कई बार अधिकारियों को पत्राचार किया गया। 6 साल में भवन का निर्माण नहीं हो सका। अधिकारियों ने भी ध्यान नहीं दिया। शायद ऐसा ही है हमारा सिस्टम। अब डीपीसी बीबी दुबे वार्षिक कार्य प्रोजेक्ट में नवीन भवन निर्माण का प्रस्ताव राजधानी भेजने की बात कह रहे हैं।

प्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के लिए 24 हजार 499 करोड़ रूपयों के बजट का प्रावधान वर्तमान वित्तीय बजट में किया है। बजट की यह राशि पिछले वर्ष के बजट से दो हजार 775 करोड़ रूपए अधिक है।

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