जानकर ताज्जुब होगा कि इन सबके बाद भी जिला अस्पताल में दो नई वेंटीलेटर मशीन को समय रहते चालू करने में जिम्मेदार बेपरवाह रहे। वेंटीलेटर को इंस्टाल करवाने का प्रयास पत्राचार तक सीमित रहा। वेंटीलेटर चालू करवाने के लिए चार माह से चल रही पत्राचार की प्रक्रिया के बीच जिला अस्पताल के ही कुछ चिकित्सक बताते हैं कि निजी अस्पताल से टेक्नीशियन बुलाकर मशीन चालू किया जा सकता है। यह अलग बात है कि अस्पताल के जिम्मेदार सरकारी व्यवस्था की तरह पत्र लिख कर जिम्मेदार से पल्ला झाड़ ले रहे हैं।
कोविड-19 संक्रमण का इलाज कर रहे चिकित्सक बताते हैं कि कोविड संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेबल जब सामान्य से ज्यादा कम होने लगता है तब मेडिसिन के डॉक्टरों से एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की भूमिका बढ़ जाती है। अस्पताल में एनेस्थीसिया के चार चिकित्सक हैं। ऐसे में कोविड-19 संक्रमित मरीजों के इलाज में इन चिकित्सकों की भूमिका भी तय की जानी चाहिए।
आइसीयू में कोविड-19 संक्रमण का इलाज करवा रहे मरीजों की मानें तो यहां एनेस्थीसिया के डॉक्टर संजय शिवहरे के कंधों पर ही मरीजों के इलाज का दारोमदार है। डॉक्टर शिवहरे ने बताया कि कोविड-19 के गंभीर संक्रमितों के इलाज के दौरान पूरी कोशिश रहती है कि जरूरतमंद को समय पर वेंटीलेटर की व्यवस्था की जा सके। जानकार बताते हैं कि जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया के चार डॉक्टर हैं। इसमें डॉ. मनोरमा गुप्ता, राजीव द्विवेदी, नरेंद्र झामनानी और उमा भावना शामिल हैं। बताया जा रहा है कि उमा भावना एस्मा लगने के बाद भी अवकाश पर हैं। अन्य चिकित्सकों से भी कोविड-19 संक्रमितों के इलाज में सक्रिय भागीदारी निभाने की मांग की जाती रही है।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. यशवंत वर्मा बताते हैं कि जिला अस्पताल में 7 वेटीलेटर चालू है। पीएम केयर फंड के दो वेंटीलेटर चालू करवाने के लिए भोपाल पत्र लिखे हैं। प्रयास किया जा रहा है कि वेंटीलेटर जल्द से जल्द चालू हो जाएं।