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उज्जवला ने रोकी उजड़ते वनों की रफ्तार अब गैस की मंहगी कीमत कर रही बंटाधार : VIDEO

locationकटनीPublished: Jan 22, 2022 10:57:38 pm

मंहगाई- मई 2020 में 605 रूपए से बढ़कर अब 927 रूपए है एक सिलेंडर की कीमत.

कटनी. खाना पकाने के लिए कभी ईंधन का प्रमुख स्रोत रही लकड़ी का विकल्प जब घरेलू गैस सिलेंडर बनी तो इसमें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से वनों की कटाई की रफ्तार काफी हद तक कम हुई। पर्यावरण संरक्षण में इस योजना को बेहतर माना गया। खासबात यह है कि बीते डेढ़ साल के दौरान एक सिलेंडर की कीमत 605 रूपए से बढ़कर अब 927 रूपए हो गई तो ग्रामीण अंचल में कई परिवारों के लिए गैस से खाना पकाना मंहगा साबित हो रहा है तो इसका असर भी जंगलों पर पडऩे की आशंका है। घरेलू गैस की लगातार बढ़ती कीमतों के बाद गांव में लोग अब लकड़ी से भोजन पकाने लगे हैं। कई घरों में जहां डेढ़ माह में रिफलिंग होती थी तो अवधि बढ़कर तीन माह हो गई है। कई लोग गैस से सिर्फ चाय बना रहे है, भोजन पकाने के लिए लकड़ी पर निभर्रता बढ़ रही है। जानकार बताते हैं कि मंहगी गैस पर्यावरण संरक्षण पर विपरीत असर डाल सकती है। सरकार को कीमतें कम करने पर विचार करना चाहिए।
वन विभाग कटनी के डीएफओ आरसी विश्वकर्मा बताते हैं कि उज्जवला योजना का प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से वनों के संरक्षण पर पड़ा है। ज्यादातर लोग गैस से भोजन पकाना पसंद करते हैं। शहडार के जंगलों में घनत्व ज्यादा है, हांलाकि कुछ कटाई हुई है। कटनी शहर के आसपास तो वनों में हरियाली बढ़ी है। 15 से 20 साल पेड़ बताते हैं कि वनों की कटाई कम हुई है।
सस्ती गैस से ऐसे समझें पर्यावरण में लाभ का गणित – मझगवां, कन्हवारा, कैलवारा, लखापतेरी, जुगियाकाप। जिला मुख्यालय के आसपास के ऐसे जंगल हैं जो कभी उजाड़ हो गए थे। यहां वर्तमान मे हरियाली है तो इन वनों में पेड़ भी अधिकतम 15 साल पुराने हैं। वर्तमान में ये अच्छे वनों में तब्दील हो रहे हैं। इनका घनत्व .4 है तो यहां अवैध वन कटाई के ठूठ भी नहीं दिखते। वन विभाग के अधिकारी भी इसके पीछे ईंधन जरूरतों की पूर्ति में घरेलू गैस सिलेंडर के शामिल होने का प्रमुख कारण मान रहे हैं।
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