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जानिए बेरोजगारों ने क्यों कहा कि कार्यालय से जब फोन गया तब पता चला की हमारे नाम पर स्वीकृति हो गया ऋण

सेंट्रल मप्र ग्रामीण बैंक भोपाल की ऑडिट टीम ने जिला अंत्यावसायी सीइओ की भूमिका बताई संदिग्ध, जांच कराने कलेक्टर से किया पत्राचार, जिला अंत्यावसायी व सेंट्रल मप्र ग्रामीण बैंक की देवरीशाखा का मामला

कटनीJan 16, 2019 / 11:43 am

dharmendra pandey

Unemployed youth and women who are being victimized by fraud

Unemployed youth and women who are being victimized by fraud

कटनी. बेरोजगारों को रोजगार के लिए ऋण दिलाने वाली जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति में लगभग 92 लाख 50 हजार रुपये की गड़बड़ी होने की आशंका जताई गई है। इसका खुलासा सेंट्रल मप्र ग्रामीण बैंक भोपाल की ऑडिट टीम द्वारा कलेक्टर से की गई शिकायत में हुआ है। ऑडिट टीम ने जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के सीइओ की भूमिका को संदिग्ध बताया है। ऑडिट टीम की शिकायत के बाद कलेक्टर केवीएस चौधरी ने अपर कलेक्टर आर उमा महेश्वरी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद एडीएम ने मामले की जांच सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख दीपक सिंह को दी। दूसरी ओर जिन हितग्राहियों के नाम पर ऋण मंजूर किए गए है, जब उनको इसकी भनक लगी तो वे सोमवार को जिला अंत्यावसायी कार्यालय पहुंचे। सीइओ पीके वर्मा से मुलाकात की। संंबंधित दस्तावेज मांगेें। इसके बाद सभी लोग मामले की जांच कर रहे अधिकारी दीपक सिंह के पास पहुंचे। उनको भी मामले के बारे में जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि बेरोजगार युवक व युवतियां खुद का रोजगार खड़ा कर सकें, इसके लिए मुख्य स्वरोजगार योजना के तहत बैंक से राशि दिलाई जाती है। युवक व युवतियों को जिला अंत्यावसायी सहायक मर्यादित विकास समिति में आवेदन देना होता है। आवेदन मंजूर होने के बाद प्रकरण बैंक भेजा जाता है। उसमें सेे कुछ राशि अनुदान के रूप में बैंक में जमा करनी होती है।
20 से अधिक लोगों के नाम पर मंजूर कराए ऋण
जिला अत्यावसायी कार्यालय से करीब 15 से 20 लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से बैंक से ऋण दिलाया गया है। इसमें तहसील क्षेत्र रीठी व बहोरीबंद के लोग शामिल है। मंजोबाई, मिथलाबाई, चंद्रवती, ऊषा, सोनीबाई, रुकमणी, धर्मेंद्र, लटोरा रैदास, अजय कुमार, पिंकी, महेंद्र कुमार ने जिला अत्यावसायी सहाकारी मर्यादित समिति के सीइओ पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। कहा कि जो फार्म भरे गए है, उसमें हमारे हस्ताक्षर नहीं है। फर्जी हस्ताक्षर कर हमारे नाम पर बैंक से ऋण निकाले गए है।
92 लाख 50 हजार रुपये का ऋ ण हुआ मंजूर
जिला अंत्यावसायी कार्यालय से लगभग 20 लोगों के नाम पर 3 से 5 लाख रुपये के हिसाब से 92 लाख 50 हजार रुपये की राशि मंजूर हुई, लेकिन यह राशि हितग्राहियों को नहीं मिली। विभाग द्वारा सेंट्रल मप्र ग्रामीण बैंक की देवरीशाखा को 23 लाख रुपये की सब्सिडी भी बैंक को भेज दी गई।
एक ही बैंक में भेज दिए 20 से अधिक प्रकरण
जिला अंत्यावसायी विभाग, सेंट्रल बैंक अधिकारियों ने दलाल के साथ मिलीभगत कर नियम विरूद्ध जाकर एक ही बैंक में 20 से अधिक लोगों के प्रकरण भेज दिए। जबकि नियमानुसार एक या दो से अधिक प्रकरण एक बैंक में नहीं भेजा जा सकता। इसके अलावा 50 हजार रुपये से अधिक के लोन में कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य है, लेकिन जालसाजों 50 हजार रुपये से अधिक के ऋण में 50-50 हजार रुपये की स्वीकृति दे दी।

इनका कहना है
सेंट्रल मप्र ग्रामीण बैंक भोपाल की ऑडिट टीम ने गड़बड़ी की आशंका जताई है। जिला अंत्यावसायी कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध बताई हैं। शिकायत के आधार पर पूरे मामले की जांच एडीएम को दी गई है। रीजनल महाप्रबंधक ने तत्कालीन बैंक प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। वर्तमान वाले प्रबंधक को हटाकर जबलपुर भेज दिया गया है।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।

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