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गजब! कान में रुई लगाने से बन जाती है सोना, जानिए रोचक रहस्य

locationकटनीPublished: Aug 16, 2017 09:20:00 pm

Submitted by:

balmeek pandey

शीतला सप्तमी पर सिंधी समुदाय की महिलाएं कान में पहनतीं हैं पनड़ा, पाकिस्तान के मेहड़ से आईं योगमाया की होती है पूजा, सुख-समृद्धि के लिए करतीं हैं मां

Ears of cotton become gold

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बालमीक पांडेय @ कटनी। पवित्र श्रावण मास की शीतला सप्तमी पर कान में रुई लगाने से वह एक साल के बाद सोना बन जाती है! यह बात सुनने में जरुर अटपटी लग रही है, लेकिन ऐसी मान्यता है शहर की अधिकांश सिंधी समुदाय के महिलाओं की। लगभग ६९ वर्ष पुरानी इस मान्यता का शहर में आज भी निर्वहन हो रहा है। योगमाया स्वरूपा मां शीतला की उपासना कर व्रती महिलाएं कान में पनड़ा (रुई का मोटा धागा) पहनती हैं। महिलाएं इसे दिन में संभालकर कान में पहनती हैं और फिर रात्रि में उसे एक यंत्र की तरह घर पर व्यवस्थित रखती हैं। इसके पीछे उनकी अस्था भी अटूट है। मानना है कि यदि इसे कान में न भी पहना जाए और पूजन स्थल पर संभालकर रखें तो मां शीतला की अपार कृपा बसरती है और घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।

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ऐसे होती है पूजा
गुरुनानक वार्ड निवासी पं. कविता शर्मा ने बताया कि सिंधी समाज में सावन माह के कृष्ण की सप्तमी को जन्माष्टमी से ठीक एक दिन पूर्व योगमाया की पूजा होती है। शीतला माता की सुबह से स्नान आदि के बाद पूजन शुरु होता है। पूजन के बाद मां को मीठे पकवान अर्पित करने के बाद आंचल में शीतला माता का प्रसाद स्वरूप ७ चने निगलते हैं। इससे संतान को दीघायु प्राप्त होती है और घर में संपन्नता आती है। इसके बाद रुई मां शीतला पर चढ़े सिंदूर को लगाकर कान में पहने हुए गहने से लपेट लिया जाता है।

पाकिस्तान के मेहड़ से आई हैं देवी
इस अनूठी मान्यता का पूजन गुरुनानक वार्ड निवासी पं. दिनेश शर्मा के यहां हर वर्ष होता है। यह मान्यता १९४८ से चली आ रही है। दिनेश शर्मा ने बताया कि उनके दादा घनश्याम दास शर्मा पाकिस्तान के मेहड़ शहर से शीतला माता को साथ में लेकर आए थे। पिछले ६९ साल से सप्तमी को मां की धूमधाम से उपासना होती है और इस मान्यता को पूरा किया जाता है। पूरे शहर भर से महिलाएं पूजन के लिए घर पर आती हैं और कान में पनड़ा पहनती हैं।

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