script

Video: हनुमान जयंती पर विशेष: बूटी या चमत्कार रहस्य बरकरार, इस मंदिर में जड़ी चबाते ही जुड़ रहीं कई जगह से टूटी हड्डियां

locationकटनीPublished: Apr 19, 2019 12:47:43 pm

Submitted by:

balmeek pandey

कटनी जिले के रीठी तहसील क्षेत्र अंतर्गत मोहास मंदिर में उमड़ रही श्रद्धालुओं व मरीजों की भीड़, ठीक होकर होते हैं रवाना

unique story of hanuman jayanti Rethi Mohas mandir

unique story of hanuman jayanti Rethi Mohas mandir

कटनी। भारत देश में रहस्य भरे पड़े हैं। कोई भी क्षेत्र इन रहस्यों से अछूता नहीं है। कुछ तो ऐसे हैं जिन पर सहज विश्वास कर पाना संभव नहीं हैं, लेकिन जब पूरी चीजें आंखों के सामने हों तो अविश्वास के लिए जगह नहीं बचती…। यही विश्वास रोजाना हजारों लोगों को कटनी, रीठी के समीपी गांव मोहास स्थित हनुमान मंदिर तक ले जाता है। यहां लोग दर्द से कराहते हुए आते हैं और राहत भरी मुस्कुराहट लेकर जाते हैं। इस मंदिर में शरीर की टूटी हुई हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं। आज 19 अप्रैल को हनुमानजी की जयंती है। आईए आपको मोहास के हनुमान मंदिर की आश्चर्य भरी विशेषताओं से अवगत कराते हैं…


आर्थोपेडिक हनुमान
कटनी से महज 35 किलामीटर दूर ग्राम मोहास में विरोज हनुमान जी को आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट भी कह दें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। अस्थि रोग, फैक्चर आदि से पीडि़तों की यहां वैसी ही कतार लगती है, जैसी किसी आर्थोपेडिक सर्जन या फिर स्पेशलिस्ट ( हड्डी रोग विशेषज्ञ) के दवाखाने में….। किसी बड़े डॉक्टर के दवाखाने से भी कई गुना भीड़ यहां रोज लगती है। शनिवार और मंगलवार को तो विशाल परिसर पर पैर रखने की तक की जगह नहीं रह जाती।


ये होता है नजारा
हनुमान मंदिर पर रोजाना नजारा अनूठा होता है। कोई किसी को स्ट्रेचर पर लादकर लाता है, तो कोई पीठ या एम्बुलेंस में लेकर पहुंचता है। किसी का हाथ टूटा होता है तो कोई पैर या फिर शरीर में अन्य जगह फै्रक्चर से कराहता नजर आता है। सभी के मन में एक ही आस होती है कि हनुमानजी सब ठीक कर देंगे। उनका विश्वास कसौटी पर खरा भी उतरता है, तभी तो लोगों ने यहां के हनुमानजी को हड्डी जोडऩे वाले हनुमान की उपाधि प्रदान कर दी है।


बस, यह एक ही इलाज
पीडि़त के परिसर पर पहुंचते ही मंदिर के पंडा सरमनजी सभी को आंख बंद करने को कहते हैं। सभी को केवल राम नाम का जाप करने को कहा जाता है। आंखें बंद रहने के दौरान ही पंडा और उनके सहयोगी जन, पीडि़तों को कोई औषघि खिलाते हैं। पत्तियों व जड़ रूपी इस औषधि को खूब चबाकर खा जाने की सलाह जाती है। औषधि खाते ही सभी को विदा कर दिया जाता है। यहां बस इतना ही इलाज है। पंडा सरमन पटेल का दावा है कि इस इस औषधि को खाने और हनुमानजी के प्रताप से हड्डियां अपने आप जुड़ जाती हैं।


दो दिन लगता है मेला
मंदिर में यूं तो दवा सदैव दी जाती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार का दिन इसके लिए विशेष रूप से निर्धारित है। स्थानीय मूलचंद दुबे का कहना है कि मंगलवार और शनिवार हनुमानजी के दिन हैं। इस दिन दी गई औषधि ज्यादा असरकारी रहती है। यही वजह है कि शनिवार और मंगलवार को मंदिर में पीडि़तों का मेला लगता है। आज भी हजारों की तादाद में लोग यहां पहुंचते हैं।

कई राज्यों से आते हैं लोग
स्थानीय रमेश सोनी व केशव पटेल ने बताया कि इस मंदिर की ख्याति पूरे देश में है। जब लोग डॉक्टर के यहां इलाज कराकर निराश हो जाते हैं, तब यहां हनुमानजी की शरण में आते हैं। आने वालों में गुजरात, राजस्थान, यूपी, बिहार समेत अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं। मंदिर में इलाज कराने आए उमरिया निवासी अरुण पांडेय, बहोरीबंद निवासी प्रभा देवी, सागर निवासी नंदकिशोर राज, महेश अवस्थी आदि ने बताया कि वे दूसरी बार आए हैं। सभी को फैक्चर था। उन्होंने बताया कि पहली बार में ही उन्हें शत प्रतिशत आराम लगा है। दूसरी बार वे मात्र हनुमानजी का दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने के लिए आए हैं।


नहीं लगता कोई खर्च
स्थानीय जनों ने बताया कि मंदिर में इलाज व औषधि के लिए कोई शुल्क निर्धारित नहीं है। व्यक्ति की जो श्रद्धा बनती है, वह उसे दान पेटी में अर्पित कर देता है। बाहर दुकान में केवल तेल मिलता है। मालिश का यह तेल भी 50 या सौ रुपए में उपलब्ध हो जाता है। कटनी निवासी राजेश पाण्डेय ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। वह बाबा के दरबार पहुंचे। बगैर किसी डॉक्टरी उपचार के अब उनका पैर ठीक है। बड़वारा निवासी रामनारायण महोबिया ने बताया कि साइकल से गिरने के कारण उनका दाहिना हाथ टूट गया था, चिकित्सक ने एक्सरे के बाद हाथ में फैक्चर होने पर प्लास्टर की सलाह दी। पर उन्हें पता चला कि मोहास में दवा खाने से हड्डी जुड़ जाती है। इसलिए वे यहां मंदिर पहुंच गए। औषधि खाने के बाद अब उनका हाथ उनका पूरी तरह से ठीक है। बताया गया है कि हनुमानजी के दरबार से आज तक कोई भी निराश होकर नहीं लौटा है।

यह है विशेषज्ञों की राय
जिला अस्पताल में पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. पीडी सोनी का कहना है कि वहां पर कई साल से जड़ी-बूटी के माध्यम से हड्डी जोडऩे का दावा किया जा रहा है। मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र है यह सही बात है, लेकिन हड्डी का जुडऩा यह अंध विश्वास है। लोग वहां पर अवश्य जाएं, लेकिन हड्डी टूटने पर चिकित्सक को अवश्य दिखाएं।

 

 

ट्रेंडिंग वीडियो