script1857 की क्रांति के महायोद्धा राजा सरयूप्रसाद के वंशज की रानी सोमप्रभा ने सीएम को लिखी पाती, दिया बड़ा अल्टीमेटम | Vijayaraghavgarh Fort proposes to make Heritage | Patrika News

1857 की क्रांति के महायोद्धा राजा सरयूप्रसाद के वंशज की रानी सोमप्रभा ने सीएम को लिखी पाती, दिया बड़ा अल्टीमेटम

locationकटनीPublished: Mar 07, 2018 11:15:34 am

Submitted by:

balmeek pandey

पुरातत्व विभाग ने हेरीटेज बनाने पर्यटन विभाग को सुपुर्द करने बनाई है योजना

 Vijayaraghavgarh Fort proposes to make Heritage

Vijayaraghavgarh Fort proposes to make Heritage

कटनी. मुफ्त में आजादी मिलती नहीं है दोस्तो, मुल्क जो आजाद होते लहू के मोल होते हंै। शहीदों की स्मृतियों के साथ हमने क्या सलूक किया…। बारडोली की धरा में ऐसे वीर सपूत हुए हैं जिन्होंने ब्रिटिश शासन की बेडिय़ों में जकड़े वतन को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। उन्हीं में शामिल हैं विजयराघवगढ़ रियासत के राजा प्रयागदास के पुत्र राजा सरयूप्रसाद। 1857 की क्रांति में इस महायोद्धा ने न सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरु की थी बल्कि ये वे पहले शख्स हैं जिन्होंने अंग्रेज कमिश्नर को गोली दागी थी और फिर अंग्रेजों के खिलाफ चिंगारी भड़क उठी थी। ऐसी वीरता, शौर्यता, देशभक्त की खान का निवास अब सरकार हेरीटेज बनाने के मूड़ में है। पुरातत्व विभाग ने पर्यटन विभाग को सुपुर्द करने योजना बनाई है। इस पर राजा सरयू प्रसाद के वंशज व रानी साहिबा सोमप्रभा देवी ने सीएम शिवराज सिंह को पाती लिखकर उसे वापस करने कहा है। उन्होंने पाती में कहा है कि खुद वह किले की हिफाजत करेंगी। सीएम को लिखी पाती में ८५ वर्षीय चंद्रमोहन सिंह की पत्नी राज उपाधि से सम्मानित रानी साहिबा सोमप्रभा देवी राजा साहब की कोठी विजयराघवगढ़ ने कहा है कि १८५७ की आजादी की लड़ाई का एक मात्र स्मारक विगढ़ का किला है। जो वास्तु वैभव का अप्रतिम नमूना है। जिले उनके पूर्वज राजा प्रयागदास ने १८२६ में निर्मित कराया था। १८५७ की क्रांति में राजा सरयूप्रसाद से इसी किली से हुंकार भरी थी। हजारों लोग आजादी के लिए शहीद हुए थे। इस पर राजा को कालापानी की सजा हुई थी और वे शहीद हो गए थे।

१९८४ में शासन के आधीन किया था किला
रानी साहिबा ने कहा कि १९८४ में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के विशेष आग्रह पर उन्होंने किले को शासन को सौंपा था। लेकिन उन्हें कुछ दिनों पहले ज्ञात हुआ कि इस किले को पुरातत्व विभाग से हटाकर हेरीटेज बनाने के लिए पर्यटन विभाग को देने का प्रस्ताव बना है। इस प्रस्ताव पर राजा के वंशजों ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि किला या तो पुरातत्व विभाग के संरक्षण में रहे या फिर पूर्वजों की धरोहर उन्हें सौंप दी जाए, ताकि वे इसका संरक्षण व संवर्धन कर सकें।

 

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खतरे में स्मारक का अस्तित्व
पाती में सोमप्रभा देवी ने बताया है कि किले के अंदर मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम विराजे हैं। साथ ही यहां पर ब्रम्ह चबूतरा है, जो आस्था का प्रमुख केंद्र है। किला पर्यटन विभाग को सौंपे जाने से ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। रानी साहिबा ने कहा है कि यदि उनके इस पत्र पर सरकार विचार नहीं करती तो वे विधिक कार्रवाई के लिए बाध्य होंगी। रानी साहिबा ने कहा है कि पर्यटन विभाग में व्यावसायिक उपयोग से स्मारक का अस्तित्व घटेगा। देश मे ऐसा स्मारक कहीं नहीं है। भारतीय पुरातत्व सर्वेचन में इकलौता स्मारक चिन्हित किया गया था। किले के अंदर रंगमहल, मुडिय़ा महल, रनिवास, अश्वशाला, बावली एवम गुप्त द्वार अनूठे हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, राजा बख्तवली, तात्या टोपे आदि ने सरयू प्रसाद के साथ मिलकर 1857 की क्रांति की ज्वाला भड़काई थी।

किले को लेकर खास-खास
– 1826 में मैहर के ठाकुर की मृत्यु के पुत्र प्रयागदास को विजयराघवगढ़ की मिली रियासत।
– 29 फरवरी 1828 में प्रयाग दास बने विगढ़ के राजा।
– 1845 में राजा प्रयागदास की मृत्यु हो गई और, 5 वर्ष के सरयूप्रदास बने उत्तराधिकारी
– 1857 की क्रांति में 17 वर्ष के सरयूप्रसाद ने लड़ा था युद्ध, कम उम्र में राजा ने छुड़ाए थे अंग्रेजों के छक्के।
– 1864 में हुआ था अजीवन कारावास, आज भी रहते हैं राजा साहब के वंशज।
– पुरातत्व विभाग वल्र्ड मॉन्युमेंट योजना से हाल ही में 69 लाख की लागत से कराया है जीर्णोद्धार।

 

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ऐसे चल रहा है वंशज
विजयराघवगढ़ रियासत के राजा प्रयाग दास के पुत्र राजा सरयूप्रसाद हुए। सरयूप्रसाद के पुत्र ठाकुर जगमोहन सिंह हुए जो भारतेंदु युग के महान लेखाकार हुए। जगमोहन सिंह के पुत्र बैरिस्टर बृजमोहन सिंह हुए। बैरिस्टर सिंह के पुत्र चंद्रमोहन सिंह हुए और इन्ही की पत्नी हैं राज उपाधि से सम्मानित रानी साहिबा सोमप्रभा देवी।

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