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प्रशासनिक अनदेखी के चलते दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय बंद, पूर्व व वर्तमान प्रभारी ने नहीं दिया ध्यान

locationकटनीPublished: May 03, 2021 09:16:22 pm

Submitted by:

balmeek pandey

विद्यालय में 30 बच्चे थे अध्ययनरत, सामाजिक न्याय विभाग द्वारा समय पर वेतनमान आदि न दिए जाने से संस्था ने किया बंद, पूर्व प्रभारी अधिकारी व वर्तमान प्रभारी अधिकारी सामाजिक न्याय विभाग की सामने आई बेपरवाही

प्रशासनिक अनदेखी के चलते दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय बंद, पूर्व व वर्तमान प्रभारी ने नहीं दिया ध्यान

प्रशासनिक अनदेखी के चलते दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय बंद, पूर्व व वर्तमान प्रभारी ने नहीं दिया ध्यान

कटनी. कटनी जिले का एकमात्र दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय एवं पुनर्वास केंद्र महाराणा प्रताप वार्ड झिंझरी को शुक्रवार से संस्था ने हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय ले लिया है। इसकी मुख्य वजह प्रशासन व सामाजिक न्याय विभाग की अनदेखी बताई जा रही है। इस मसले में एक माह पूर्व ही लिखित सूचना 27 मार्च को कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को दे दी गई थी, बावजदू इसके ध्यान नहीं दिया। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी एवं कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलना एवं अन्य कारणों से 30 अप्रैल को बंद कर दिया गया है। बता दें कि कटनी जिले का एकमात्र जिला दृष्टि बाधित विशेष विद्यालय संचालित हो रहा था। यह वर्ष 2010 से दृष्टि बाधित छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षण, व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं ब्रेललिपि से दिया जा रहा था। पूरे प्रदेश का ब्रेललिपि पुस्तकों बहुत बड़ा संग्रह है एवं एनआइवीएच देहरादून का ब्रेललिपि एक्सटेंशन काउंटर भी उपलब्ध है। बता दें कि यहां पर 30 बच्चे पढ़ रहे थे, लॉकडाउन में संचालन बंद था, लेकिन मानदेय व भवन किराया सामाजिक न्याय विभाग देता था, लगभग 70 हजार रुपये हर माह खर्च आता था, केंद्र में 6 कर्मचारी कार्यरत थे। दो ब्लाइंड के विशेष शिक्षक, एक कुक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक व्यवसायिक शिक्षक व एक लेखापाल काम कर रहे हैं। अब ये सभी बेरोजगार हो गए हैं।
कटनी जिले में पूर्व में स्वालंबन विद्यालय एवं रेडक्रास सोसायटी द्वारा संचालित अन्य दिव्यागों के विद्यालय बंद हो चुके हैं। कटनी जिले में संस्थान को किसी तरह का दान एवं सहायता शहरवासियों से कभी भी सहयोग नहीं मिला। दृष्टि बाधित संस्थान को पूर्व कलेक्टर अशोक सिंह ने सक्रियता के साथ खुलवाया था। जिले के दृष्टि दिव्यांगजनों को शहर से बाहर शिक्षा ग्रहण करने ना जाना पड़े, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी के कारण दृष्टि दिव्यांग जनो के हितार्थ समर्पित विद्यालय बंद कर दिया गया। बता दें कि इस दिनों सामाजिक न्याय विभाग के प्रभारी

यह है संचालक का तर्क
विद्यालय के संचालक आरके रैकवार का तर्क है कि समाज सेवा तो है, लेकिन स्वयं के व्यय पर विद्यालय चलाना पड़ता है, आर्थिक सहायता जिले के सामाजिक न्याय विभाग से मिलती थी, लेकिन कई परेशानी से मिल पाती है। समय पर मानदेय न मिलने से विद्यालय संचालन में बहुत समस्या हो रही है। विद्यालय दृष्टि दिव्यांग जनों के लिए ब्रेललिपि की पुस्तकें विदेशों से लाखों रूपए में खरीदी गई हैं। अभी भी फरवरी-मार्च का मानदेय नहीं मिला है।

इनका कहना है
एक माह पहले मुझे चार्ज मिला है। मैने चार्ज लेने से मना कर दिया था। मेरे सिग्नेचर भी डिजटल नहीं हुए थ। दीपक सिंह को समस्या हल करना था, उन्होंने ध्यान नहीं दिया। संस्था के बिल की समस्या है, उसे दूर कर दिया जाएगा। विद्यालय बंद न हो यह पहल की जाएगी।
आरएन सिंह, प्रभारी सामाजिक न्याय विभाग।

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