यह है संचालक का तर्क
विद्यालय के संचालक आरके रैकवार का तर्क है कि समाज सेवा तो है, लेकिन स्वयं के व्यय पर विद्यालय चलाना पड़ता है, आर्थिक सहायता जिले के सामाजिक न्याय विभाग से मिलती थी, लेकिन कई परेशानी से मिल पाती है। समय पर मानदेय न मिलने से विद्यालय संचालन में बहुत समस्या हो रही है। विद्यालय दृष्टि दिव्यांग जनों के लिए ब्रेललिपि की पुस्तकें विदेशों से लाखों रूपए में खरीदी गई हैं। अभी भी फरवरी-मार्च का मानदेय नहीं मिला है।
इनका कहना है
एक माह पहले मुझे चार्ज मिला है। मैने चार्ज लेने से मना कर दिया था। मेरे सिग्नेचर भी डिजटल नहीं हुए थ। दीपक सिंह को समस्या हल करना था, उन्होंने ध्यान नहीं दिया। संस्था के बिल की समस्या है, उसे दूर कर दिया जाएगा। विद्यालय बंद न हो यह पहल की जाएगी।
आरएन सिंह, प्रभारी सामाजिक न्याय विभाग।