मरीज व उनके परिजन बताते हैं कि नमूने देने के पांच दिन बाद इलाज शुरू होने से संक्रमण के बढऩे का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मामले में लगातार उदासीन रवैया अपनाए जाने के कारण भी कई मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है, और उन्हे इलाज के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगानी पड़ती है।
कोरोना संक्रमण से प्रभावित मरीजों का कहना है कि नमूने लेकर जांच के लिए भेजने और इलाज प्रारंभ होने में लग रहे समय को कम करने की जरूरत है। नमूने देने पांचवें दिन किसी का इलाज प्रारंभ हो तो नुकसानदायक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मामले में आइसीएमआर पर दोष मढ़ रहे हैं।
सीएमएचओ आरबी सिंह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट आइसीएमआर से देरी से आने के कारण इलाज में विलंब हो रहा है। हमने जबलपुर बात किया है, कोशिश है कि रिपोर्ट जल्दी आए और पॉजिटिव मरीजों का जल्दी इलाज प्रारंभ हो।
ऐसे समझें मरीजों की परेशानी
कैमोर में पॉजिटिव आए एक परिवार की 32 वर्षीय महिला ने बताया कि उनके परिवार के एक सदस्य की रिपोर्ट पहले पॉजिटिव आने के बाद सभी लोग एहतियात बरत रहे थे। 21 सितंबर को नमूने देने के बाद उम्मींद थी कि रिपोर्ट जल्दी आएगी, लेकिन 24 सितंबर को रिपोर्ट आई और अब इलाज 25 सितंबर से प्रारंभ होगा।
शांतिनगर के 59 वर्षीय युवक ने बताया कि 21 सितंबर को नमूने देने के बाद 22 व 23 सितंबर की दोपहर तक रिपोर्ट नहीं आई तो अपने स्तर से आइसीएमआर से पता करवाए। पता चला कि रिपोर्ट पॉजिटिव है तो इलाज के लिए भोपाल आ गए। पता चला था कि विलंब से रिपोर्ट 24 सितंबर की दोपहर को आई है।