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आखिर गर्मी का मौसम करीब आने के बाद क्यों जागता है वन विभाग

locationकटनीPublished: Mar 26, 2019 05:37:33 pm

जिले के वनक्षेत्रों में पीने के पानी का संकट, अधिकारी कह रहे वन्यप्राणियों के लिए भेजा है प्रस्ताव

Why, forest department is awake after summer season approachs

जिले के वनक्षेत्रों में पीने के पानी का संकट, अधिकारी कह रहे वन्यप्राणियों के लिए भेजा है प्रस्ताव

कटनी. गर्मी के मौसम में वन्यप्राणी मूवमेंट वाले स्थानों पर पेयजल उपलब्धता के लिए वन विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। ढीमरखेड़ा और बरही में वन्यप्राणी मूवमेंट के आसपास बने सौसर (वन्यप्राणियों के पानी पीने के लिए बनाया गया छोटे तालाब) की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है। सफाई करवाई जा रही है। पानी कहां से लाया जाएगा इसकी रुपरेखा तैयार की जा रही है।
वन्यप्राणियों को पीने के पानी की समस्या बीते वर्ष देखने मिला था। ढीमरखेड़ा और बरही में वन्यप्राणी आबादी के समीप तक पानी की तलाश में पहुंच रहे थे। क्षेत्र में पथरीला स्थान वाले वनक्षेत्रों में गर्मी का मौसम शुुरु होने से पहले ही पेयजल की समस्या सामने आने लगती है।
वन विभाग के अधिकारी इस बार रीठी और विजयराघवगढ़ के वनक्षेत्रों में भी वन्यप्राणी मूवमेंट और पेयजल उपलब्धता का रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। यहां भी बीते सालों के दौरान पानी की तलाश में वन्यप्राणियों की मौत के मामले सामने आए हैं।
वन विभाग के डीएफओ आरके राय का कहना है कि ढीमरखेड़ा में पांच से ज्यादा सौसर हैं। इसके अलावा बरही क्षेत्र में भी सौसर बनवाया गया है। इन सभी स्थानों पर गर्मी के मौसम में पानी की उपलब्ध बनाए रखने के लिए 6 लाख का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। इस राशि से सौसर में पानी भरने सहित अन्य इंतजाम किए जाएंगे। रीठी और विजयराघवगढ़ में वन्यप्राणी मूवमेंट का रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
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