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फाल्ट आने पर सुधार करने वाले बिजली कर्मचारियों के लिए कुछ इस तरह सोशल मीडिया बना मददगार

locationकटनीPublished: Jul 10, 2019 08:57:07 am

सोशल मीडिया ने कम की बिजली कर्मचारियों की परेशानी, फाल्ट ढूंढऩे समय की हो रही बचत.
बिजली विभाग के कर्मचारियों के पहुंचने से पहले ही नागरिक बता देते संभावित स्थान.
फाल्ट जल्दी ठीक हुआ तो नागरिकों को मिल रही उमस से राहत, रात में ज्यादा समय नहीं गुजारनी पड़ती है अंधेरे में.

Employees taking risks of life

Employees taking risks of life

कटनी. बारिश के मौसम में बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद दस से पंद्रह मिनट में आपूर्ति बहाल हो जाए तो सहसा किसी को विश्वास नहीं होता कि फाल्ट इतनी जल्दी कैसे सुधर गया। बदलते समय से साथ अब बिजली विभाग के फाल्ट सुधारने वाले कर्मचारियों ने भी खुद को बदला है। फाल्ट का जल्दी पता लगाने में अब सोशल मीडिया और फोन का लाभ मिल रहा है।

बिजली विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पहले बिजली गई तो फाल्ट का पता लगाने में ही बहुत समय लग जाता था, अब तो सोशल मीडिया में फोटो तक आ जाती है। इधर फाल्ट वाले स्थान पर कर्मचारी पहुंचते हैं और जल्द से जल्द फाल्ट ठीक का आपूर्ति बहाल कर दी जाती है।

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अधिकारी ऐसे कुछ उहादरण भी बताते हैं। जिसमें रंगनाथ मंदिर के पास 5 जुलाई को फाल्ट आया। बिजली आपूर्ति बाधित होते ही लोगों ने सोशल मीडिया पर फोटो डाल दी। बिजली विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे गड़बड़ी सुधारी और बिजली आपूर्ति बहाल कर दी। इसमें 15 से 20 मिनट का ही समय लगा।

इसी प्रकार रबर फैक्ट्री के समीप 5 जुलाई को बिजली आपूर्ति बाधित हुई। यहां गायत्री नगर फीडर से बिजली आपूर्ति होती है। कर्मचारी फाल्ट ढूंढ़ रहे थे तभी सोशल मीडिया पर एक नागरिक ने बिजली उपकरण पर आग की फोटो डाली। कर्मचारी वहीं पर पहुंचे और सुधार किया।

पुलिस लाइन में 5 जुलाई को खंभा टूट गया और पूरे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। विभाग के कर्मचारी लाइन टू लाइन फाल्ट ढूंढ रहे थे तभी एक नागरिक ने फोन कर बता दिया कि खंभा कहां पर टूटा है, और फाल्ट ठीक कर आपूर्ति बहाल की गई।

बिजली विभाग के शहर के डीइ प्रशांत वैद्य बताते हैं कि बिजली आपूर्ति बाधित होने के बाद अब फाल्ट ढूंढऩे में सोशल मीडिया की मदद मिल रही है। पूर्व में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब तीन से चार घंटे में ठीक होने वाला फाल्ट आधा घंटे में ठीक किया गया। पहले समस्या होने पर लाइन टू लाइन ढूंढऩा पड़ता था। समय ज्यादा लगता था।

 

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