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इस जिले की ११८८ स्कूलों में महिलाओं के साथ हो रही बड़ी लापरवाही, जानिए वजह

locationकटनीPublished: Mar 13, 2018 11:40:39 am

Submitted by:

dharmendra pandey

सालभर से सरकार नहीं दे पा रहीं स्कूलों में गैस कनेक्शन के लिए राशि

Midday meals being made without schools in Food Safety License

Midday meals being made without schools in Food Safety License

कटनी. जिलेभर की ११८८ स्कूलों में अब भी लकड़ी से ही मध्यान्ह भोजन बन रह रहा है। इन स्कूलों में गैस कनेक्शन के लिए शासन ने सालभर से राशि भी नहीं दी है। इधर, धुएं के बीच खाना बनाने के कारण स्वसहायता समूह की महिलाएं बीमारी की चपेट में आ रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई जा रही उज्जवला योजना भी राहत नहीं दिला सकीं।
लकड़ी से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के कारण महिलाएं धुएं से होने वाली बीमारी से ग्रसित हो रही। ऐसे में प्रदेश सरकार ने गैस सिलेंडर के माध्यम से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनवाने का निर्णय लिया। सामग्री खरीदने के लिए ६ हजार रुपये की सहायता देने को कहा। इसके बाद कुछ स्कूलों के राशि भी दी। जिलेभर में १८३८ प्राइमरी व मिडिल स्कूल है। इसमें १३०९ प्राइमरी स्कूल व ५२९ माध्यमिक शाला है। इनमें से सिर्फ ६५० प्राइमरी व मिडिल स्कूलों को ही सरकार गैस कनेक्शन के लिए सहायता राशि दे पाई है। शेष स्कूलों में अब भी लकड़ी से ही भोजन बनाया जा रहा है।

बजट के लिए कई बार भेजा जा चुका है पत्र
अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों में गैस कनेक्शन के लिए राशि उपलब्ध कराने कई बार प्रदेश सरकार से पत्राचार किया गया, लेकिन अभी तक कोई राशि जारी नहीं की गई। जिसके चलते इन स्कूलों में गैस सिलेंडर की खरीदी नहीं की जा सकी।
जिले में ब्लॉकवार प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की संख्या

ब्लॉक प्राइमरी मिडिल
बड़वारा २३३ ११०
बहोरीबंद २४७ ९२
ढीमरखेड़ा २१८ ९८
कटनी २०२ ८४
रीठी १६७ ७१
विजयराघवगढ़ २४२ ७४

जिलेभर के इन स्कूलों में गैस कनेक्शन
ब्लॉक संख्या
कटनी ११०
रीठी १५०
बड़वारा १०८
बहोरीबंद ११०
विजयराघवगढ़ ११०
ढीमरखेड़ा १०७

इनका कहना है
स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्वसहायता समूहों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए शासन से राशि मांगी गई है। बजट मिलते ही गैस सिलेंडर के लिए राशि जारी कर दी जाएगी। जिन स्कूलों में गैस कनेक्शन नहीं और एक ही परिसर में भोजन पकाया जा रहा है, उसके लिए उस समूह को एक ही सिलेंडर दिया जा रहा है, ताकि राशि मिलने तक दूसरे स्कूलों में भी गैस से भोजन बनाया जा सके।
फ्रेंक नोबलए, जिला पंचायत सीईओ।
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