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कटनी

तीन लाख की आबादी और निगम के पास नहीं शव वाहन, स्ट्रेचर पर दोस्त का शव रख बीच शहर पैदल चल युवक पहुंचा अस्पताल

काम की तलाश में सिंगरौली से दो दोस्त आंध्रप्रदेश के मेलूर गए, काम नहीं मिला और वापस लौटते एक दोस्त की इटारसी में हुई मौत, कटनी में जीआरपी थाना से अस्पताल तक शव ले जाने नहीं मिली शव वाहन, स्ट्रेचर पर रखकर अस्पताल तक शव लेकर पहुंचा दोस्त.

कटनीSep 19, 2021 / 12:25 pm

raghavendra chaturvedi

A young man goes to the hospital with the body of a friend in a stretcher

जीआरपी थाना से स्ट्रेचर में दोस्त का शव लेकर अस्पताल जाता युवक.

कटनी. तीन लाख से ज्यादा की आबादी वाले कटनी शहर में नगर निगम के पास एक भी शव वाहन नहीं है। निधन के बाद शव वाहन के लिए नागरिक या तो समाजसेवियों की दौड़ लगाते हैं या फिर अमानवीय तरीके से शव ले जाने विवश रहते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर शुक्रवार देररात सामने आई। आंध्रप्रदेश के मेलूर मेंं काम नहीं मिलने के बाद मायूस लौट रहे सिंगरौली निवासी रामनरेश और राममिलन बैगा ट्रेन से घर के लिए निकले तभी रास्ते में राममिलन की तबियत बिगड़ गई।

ट्रेन के कटनी पहुंचने के बाद जब वह कुछ भी नहीं बोल रहा था तब रामनरेश ने ट्रेन से उतारकर जीआरपी की मदद ली। जीआरपी ने रेलवे डॉक्टर बुलवाया तो उन्होंने राममिलन को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शुरू हुआ सिस्टम का खेल। राममिशन के शव को जिला अस्पताल तक ले जाने के लिए रामनरेश के पास कोई साधन नहीं था। जीआरपी ने समाजसेवियों से मदद मांगी तो वाहन कहीं और भेजने की बात सामने आई।

परेशान रामनरेश अपने दोस्त राममिलन के शव को स्ट्रेचर पर रखकर ही शहर की प्रमुख गलियों से होते हुए करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर जिला अस्पताल पहुंचा। वहां रात भर मर्चुरी कक्ष में शव रखा और फिर आगे की कार्रवाई हुई।

इस बारे में जीआरपी थाना प्रभारी राकेश पटेल बताते हैं कि राममिलन का परीक्षण कर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया तो शव वाहन के लिए फोन लगाए थे, लेकिन व्यवस्था नहीं हुई। हमारे यहां शव ले जाने के लिए स्ट्रेचर की ही व्यवस्था है।

नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष व पार्षद मौसूफ अहमद बिट्टू बताते हैं कि दो साल पहले नगर निगम में प्रमुखता से 5 शव वाहन और 10 मर्चुरी बाक्स की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग रखी गई थी। यह अलग बात है कि जिम्मेदार लोग जनसुविधाओं से जुड़ी जरुरी मांगों पर ही ध्यान नहीं देते हैं।

आयुक्त सत्येंद्र धाकरे भी मानते हैं कि हर शहर में शव वाहन होता है, कटनी में नहीं है। इस बारे में प्रस्ताव बनाकर देने की बात कहने के साथ ही वे यह भी बताते हैं कि कोविड संक्रमण के समय अस्थाई तौर पर एक शव वाहन की व्यवस्था की थी, सूचना मिलने पर उससे मदद की जा सकती है।

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