पैसे ना होने के कारण गांव तक नहीं पहुंच पाया शव
इटौली गांव के 42 वर्षीय विशाली राम राजभर तकरीबन 8 वर्षो पूर्व महाराष्ट्र में काम करने गए थे। जहां उनकी मौत हो गई लेकिन पास में पैसे ना होने के कारण उनके शव का अंतिम संस्कार महाराष्ट्र में ही किया गया। जन्मभूमि तक उनका शव नहीं पहुंच पाया जिससे गांव परिजनों में काफी निराशा थी। जो इंसान जहां पैदा होता है मौत हो जाने पर उनका अंतिम संस्कार वही होना चाहिए, ऐसे ही कुछ मामले तहसील क्षेत्र के ग्राम अंतर वेद, दशरमन, सिमरिया, नैगवां और डाला में भी जानकारी में आए हैं कि परदेश जाकर काम करने पर मौत हो जाने की स्थिति में 30 से 35 हजार देकर निजी वाहन से शव को गांव तक लाया गया है। जिस मामले में शासन प्रशासन गंभीरता से कोई निर्णय नहीं ले रहा है।
केस नं. 01
तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा के ग्राम टोली निवासी शेखासर 24 वर्षीय ने बताया कि मई 2014 में रोजगार के लिए दिल्ली गोंडवाना एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था जा रहा था। क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण प्रदेश जाना पड़ता है। रास्ते में सागर के पास ट्रेन से गिरने के कारण हाथ कट गया। मजबूरन आज विकलांग बनकर घर पर बैठा हूं। पिता की दम पर खर्चा चल रहा है।
केस नं. 2
तहसील क्षेत्र के ग्राम घाना निवासी रोहित सेन ने चर्चा में बताया की अगस्त 2015 में गुजरात में पॉलिसी इन कंपनी में काम कर रहा था। कंपनी में काम के दौरान दोनों आंखें खराब हो गई। जिन्हें डॉक्टरों ने इलाज के दौरान दोनों आंखें निकाल दी। क्षेत्र में रोजगार होता तो प्रदेश काम करने क्यों जाते क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण ऐसी घटना हुई है। जिससे मेरी पूरी जिंदगी अब पिता और परिवार पर आश्रित है।
केस नं. 3
ग्राम टोली निवासी विजय दुबे ने बताया की क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण पूरे परिवार समेत महाराष्ट्र पूना चला गया थाद्ध जहां मेरे छोटे पुत्र प्रवीण दुबे और मोनू 24 वर्षीय की सड़क हादसे में मौत हो गई। महाराष्ट्र से 27000 हजार रुपए देकर वाहन से शव गांव तक लाया गया था।