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परदेश में जाकर युवाओं ने गंवाई आंख-हाथ और जान, किसी का शव भी नहीं पहुंचा पाया घर, हैरान कर देगी ये खबर

locationकटनीPublished: Nov 14, 2018 12:33:06 pm

Submitted by:

balmeek pandey

क्षेत्र में नहीं है रोजगार के साधन, ढीमरखेड़ा क्षेत्र के युवा हताश

Youth do not get employment in the area

Youth do not get employment in the area

कटनी/ढीमरखेड़ा. कहते हैं बुढ़ापे में बेटा बाप का सहारा होता है लेकिन ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र के कुछ मामले प्रकाश में आने के बाद ऐसा समझ में आ रहा है कि बुढ़ापे में बाप को बेटों को पालना पड़ेगा। क्योंकि क्षेत्र में रोजगार न होने के कारण क्षेत्र की युवा रोजगार पाने के लिए दूसरे प्रदेश जाते हैं और कहीं अपनी आंखें अपने हाथ और जान तक गंवा देते हैं। ऐसा ही मामला पत्रिका पड़ताल में सामने आया जब ग्रामीणों ने बताया क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण क्षेत्र के बेरोजगार अन्य प्रदेश जाते हैं और जहां अगर कोई बड़ी घटना हो गई तो परिजनों के शव लाने तक के पैसे नहीं होते। इस वजह से जन्मभूमि में अंतिम संस्कार तक नहीं हो पाता है और अन्य प्रदेश में अंतिम संस्कार किया जाता है। क्षेत्र में रोजगार न होने के कारण क्षेत्र के युवा दिल्ली, मुंबई, पूना, महाराष्ट्र जाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मजबूर हैं। क्षेत्र में नेताओं के द्वारा 10 अगस्त 2016 को यह बात बताई गई थी कि क्षेत्र की दर्जना पंचायतों में छोटे औद्यागिक केंद्र लगाए जाएंगे, लेकिन दो साल बीतने के बावजूद मात्र सर्वे तक की कार्रवाई सीमित रह गई है। आज तक इकाई स्थापित नहीं हो पाई हैं। इससे क्षेत्र के युवाओं में निराशा है।

पैसे ना होने के कारण गांव तक नहीं पहुंच पाया शव
इटौली गांव के 42 वर्षीय विशाली राम राजभर तकरीबन 8 वर्षो पूर्व महाराष्ट्र में काम करने गए थे। जहां उनकी मौत हो गई लेकिन पास में पैसे ना होने के कारण उनके शव का अंतिम संस्कार महाराष्ट्र में ही किया गया। जन्मभूमि तक उनका शव नहीं पहुंच पाया जिससे गांव परिजनों में काफी निराशा थी। जो इंसान जहां पैदा होता है मौत हो जाने पर उनका अंतिम संस्कार वही होना चाहिए, ऐसे ही कुछ मामले तहसील क्षेत्र के ग्राम अंतर वेद, दशरमन, सिमरिया, नैगवां और डाला में भी जानकारी में आए हैं कि परदेश जाकर काम करने पर मौत हो जाने की स्थिति में 30 से 35 हजार देकर निजी वाहन से शव को गांव तक लाया गया है। जिस मामले में शासन प्रशासन गंभीरता से कोई निर्णय नहीं ले रहा है।

केस नं. 01
तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा के ग्राम टोली निवासी शेखासर 24 वर्षीय ने बताया कि मई 2014 में रोजगार के लिए दिल्ली गोंडवाना एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहा था जा रहा था। क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण प्रदेश जाना पड़ता है। रास्ते में सागर के पास ट्रेन से गिरने के कारण हाथ कट गया। मजबूरन आज विकलांग बनकर घर पर बैठा हूं। पिता की दम पर खर्चा चल रहा है।

केस नं. 2
तहसील क्षेत्र के ग्राम घाना निवासी रोहित सेन ने चर्चा में बताया की अगस्त 2015 में गुजरात में पॉलिसी इन कंपनी में काम कर रहा था। कंपनी में काम के दौरान दोनों आंखें खराब हो गई। जिन्हें डॉक्टरों ने इलाज के दौरान दोनों आंखें निकाल दी। क्षेत्र में रोजगार होता तो प्रदेश काम करने क्यों जाते क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण ऐसी घटना हुई है। जिससे मेरी पूरी जिंदगी अब पिता और परिवार पर आश्रित है।

केस नं. 3
ग्राम टोली निवासी विजय दुबे ने बताया की क्षेत्र में रोजगार ना होने के कारण पूरे परिवार समेत महाराष्ट्र पूना चला गया थाद्ध जहां मेरे छोटे पुत्र प्रवीण दुबे और मोनू 24 वर्षीय की सड़क हादसे में मौत हो गई। महाराष्ट्र से 27000 हजार रुपए देकर वाहन से शव गांव तक लाया गया था।

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