बेरोजगार युवक क्या करते और उन्होंने ब्यूटीपार्लर की ट्रेनिंग भी ली। इधर ट्रेनिंग के दौरान युवकों से नगर निगम में स्वच्छता सर्वेक्षण में सुविधाघर निर्माण का सर्वे करवाया गया। इन सब काम के बाद युवाओं को उम्मीद थी कि उन्हे सम्मानजनक स्टायपेंड मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ज्यादातर युवाओं को कम हाजिरी बताकर स्टायपेंड नहीं दिया गया। बेरोजगारी की पीड़ा झेल रहे युवा इसे जीवन में कभी नहीं भूलने वाला अनुभव बता रहे हैं।
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शहर के वेंकटवार्ड निवासी बलराम जायसवाल बताते हैं कि फार्म भरते समय कम्प्यूटर टे्रड मांगा था। ट्रेनिंग मिली ब्यूटीपार्लर की। ट्रेनिंग के दौरान नगर निगम में 4 घंटे राशन कार्ड का फार्म भरने का काम मिला था। डेढ़ माह से ज्यादा समय तक काम किया। अब तक एक रुपये भी स्टायपेंड नहीं मिला।
रोशननगर के ज्योतेश्वर पाठक ने आइटीआइ में पढ़ाई वेल्डर ट्रेड से किया है। फार्म भरते में वेल्डर और ड्राइवर का विकल्प चुना था, लेकिन उन्हे भी ब्यूटीपार्लर की ट्रेनिंग के लिए चुना गया। इस बीच डेढ़ माह नगर निगम में काम किया। वार्ड एक से सात तक सुविधाघर का सर्वे किया। पैसा कुछ भी नहीं मिला।
एनकेजे के सृजन साहू बताते हैं कि 12वीं बेस से फार्म भरा था। मांगा था फोटोग्राफी, साइबर कैफे की ट्रेनिंग के लिए चुना गया। सेंटर में गया तो 30 सीट थी, बाद के बैच में आने कहा। अब तक ट्रेनिंग नहीं हुई। डेढ़ माह नगर निगम में हाजिरी लगाई, आधार काप में सर्वे किया। पैसा नहीं मिला।
नगर निगम कटनी के सहायक आयुक्त संध्या सय्याम का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान 60 प्रतिशत से कम हाजिरी के कारण स्टायपेंड की राशि युवाओं को नहीं मिल पा रही है। इस संबंध में शासन को पत्र भेजा गया है। शुरु में भोपाल से सीधे विकल्प अलॉट किए जाने के कारण कई लड़कों को ब्यूटीपार्लर का ट्रेनिंग अलॉट हुआ था।