2014 के लोकसभा चुनाव में हर अकाउंट में 15-15 लाख रुपये आने की बात लोगों को अच्छ लगी। इसके बाद जब मोदी सरकार बनी तो प्रधानमंत्री ने जीरो बैलेंस पर जनधन बैंक अकाउंट खोले की योजना शुरू की। हालांकि इसका मकसद हर देशवासी को एक बैंक अकाउंट देना था, लेकिन कुछ लोगों ने इस लालच में भी खाते खुलवाए कि शायद सरकार कुछ रकम खातों में डाल सकती है।
देश भर में करोड़ों जनधन बैंक खाते खुले, कौशाम्बी जिले में कुल 2 लाख 75 हजार जनधन बैंक अकाउंट खोले गए। अब 2019 में इनमें से 75000 अकाउंट बंद हो गए हैं। किसी लालच में खाता खुलवाने वालों को अलग कर दें तो जनधन बैंक अकाउंट संचालित करने में एक बड़ी दिक्कत है अंगुलियों के निशान। जनधन बैंक अकाउंट आधार कार्ड और अंगुलियों के निशान से खोले गए थे। इनमें ज्यादातर लोग अनपढ़ और मजदूर तबके से थे। वृद्ध और कामगारों की अंगुलियों के निशान को लेकर आधार कार्ड में भी दिक्कतें आ रही हैं और यही परेशानी जनधन खातों के संचालन में भी आने लगी है। बैंकों में खाता संचालन करने वाले ऐसे लोगों को बैंक कर्मी सहज केंद्र भेज देते हैं।
सहज केंद्र में भी अंगूठा व अंगुलियों के निशान स्पष्ट न आने से परेशान लोगों ने जनधन खाते से तौबा करना शुरू कर दिया है। सहज केंद्र संचालक जयमणि तिवारी के मुताबिक अंगुलियों के निशान न आने से निराश होकर लोगों ने इनसे दूर बना ली है। जिला अग्रणि बैंक मैनेजर दिनेश कुमार मिश्रा के मुताबिक लोगों ने जनधन खाता खुलवाने में खूब दिलचस्पी दिखायी थी, लेकिन धीरे-धीरे करके 75000 खाते पूरी तरह बंद हो गए। जो खाते संचालित हो रहे हैं वह भी महज खानापूर्ती वाले हैं। जिस तरह से खाते संचालित किये जा रहे हैं उससे आशंका ये भी है कि कहीं ये खाते बंद न हो जाएं।
By Shivnandan Sahu
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