लोकसभा के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव मे भी भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज करते हुये सत्ता हासिल किया। पहले लोकसभा उसके बाद विधानसभा मे करारी पराजय झेलने के बाद विपक्ष ने महागठबंधन की शुरुआत किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर व फूलपुर सीट पर उप चुनाव हुये तो सपा व बसपा ने गठबंधन कर उम्मीदवार उतारा। नतीजा सामने आया तो गठबंधन उम्मीदवारों ने बड़ी जीत दर्ज करते हुये भाजपा को न सिर्फ पराजित किया बल्कि 2019 के चुनाव की तैयारियों मे झटका भी दे दिया। इस जीत के बाद सपा, बसपा व कंगेस सहित कुछ अन्य दलों के महागठनधन बनने के पूरे आसार हैं।
प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के पैतृक जनपद कौशांबी की लोकसभा सीट पर महागठबंधन का साया भाजपा के ऊपर मंडराने लगा है। कौशांबी लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव के वोट संख्या पर नजर डाले तो भाजपा का यहा दोबारा जीत पाना मुश्किल है। पिछले लोकसभा चुनाव मे भाजपा उम्मीदवार विनोद सोनकर को 331593 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे सपा के शैलेंद्र कुमार को 288746 वोट हासिल हुये थे। इस तरह भाजपा ने 42847 मतो से जीत हासिल किया था। बसपा उम्मीदवार सुरेश पासी को 201322 वोट व कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र कुमार को 31905 वोट मिले थे। महागठबंधन की स्थिति मे सपा, बसपा व कांग्रेस के वोटो को जोड़ दिया जाय तो 521973 होते है। जो 2014 लोकसभा चुनाव मे भाजपा को मिले मतो से 190380 मत ज्यादा हैं| फिलहाल मतो के आंकड़े भाजपा को काफी पीछे छोड़ते नजर आ रहे हैं। मतों के आकड़ों के अलावा स्थानीय स्थानीय स्तर की राजनैतिक दशा भी भाजपा के खिलाफ ही दिखाई देती है।
पिछले चुनाव मे सपा के खिलाफ ताल ठोकने वाले बसपा मे रहे इंद्रजीत सरोज अब सपा के खेमे मे है। उनके साथ बसपा का बहुत बड़ा धड़ा सपा मे शामिल हुआ है| दलूट वोटरों मे गहरी पैठ रखने वाले इंद्रजीत के सपा मे जाने से भाजपा के दलित समर्थक भी उनके साथ जाने को खड़े दिख रहे हैं। कुल मिलकर पिछले चुनाव मे पड़े वोटरों के आकड़ों की बाजीगरी महागठबंधन की स्थ्ति मे इस बार भाजपा के खिलाफ दिखाई दे रही है।