scriptडिप्टी CM केशव मौर्य के ससुराल में पानी की किल्लत, पूरी बस्ती में सिर्फ एक हैंडपाइप | Drinking Water Problem in Deputy CM Keshav Maurya In Laws Village | Patrika News

डिप्टी CM केशव मौर्य के ससुराल में पानी की किल्लत, पूरी बस्ती में सिर्फ एक हैंडपाइप

locationकौशाम्बीPublished: Apr 25, 2018 12:42:36 am

कौशाम्बी के उस गांव में भी पानी की बेहद किल्लत, जिस गांव में है डिप्टी सीएम केशव मौर्य का ससुराल, दलित बस्ती का मामला।

Keshav Maurya

केशव मौर्य

कौशांबी. प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जिले कौशांबी में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। लोग पेयजल की भारी समस्या से जूझ रहे हैं। गांवों में लगे अधिकांश हैण्डपम्प खराब पड़े हुए हैं और अधिकारी पेयजल के गहराते संकट को भगवान भरोसे दूर किये जाने की बात कहते हैं। बड़ी बात तो यह कि डिप्टी सीएम के ससुराल में भी पानी की किल्लत है। उनके ससुराल की एक बस्ती में तो महज एक ही हैंडपंप है, जहां पानी के लिये घंटों लाइन लगाना पड़ता है।
 

जिले के सिराथू ब्लॉक के आधा दर्जन से अधिक गांवो में पानी के लिए लोग लंबी लाइनों में लगाते है। हैरत की बात तो यह कि पानी की किल्लत से प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या की ससुराल गांव के लोग भी अछूते नहीं। गांव की दलित बस्ती मे पचास से अधिक घर है जो सिर्फ एक हैंडपंप के सहारे अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। इस बस्ती के लोग घंटों लाइन मे लगने के बाद पानी पाते हैं। प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का ससुराल सिराथू तहसील के खूझा गांव मे है।

यहां की दलित बस्ती के ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पचास घरों वाली इस बस्ती मे लगभग दो सौ लोग रहते हैं। महज एक ही हैंडपंप से इन ग्रामीणों को पानी भरने की मजबूरी हैं। घंटों लाइन मे लगने के बाद जाकर बस्ती के लोगों को जरूरत का पानी मिलता है। जिले के दूसरे ग्रामीण इलाकों के कुछ गांवों में तो ऐसे हालात हैं कि लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। पेयजल की यह किल्लत लोगो के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रही है।

पेयजल संकट पर जिले के मुख्य विकास अधिकारी हीरालाल से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि जल स्तर बेहद गिर जाने से चलते ऐसे हालात बने हैं। फिर भी लोगों के सामने अभी पेयजल का संकट नही गहराया है। भगवान चाहेंगे तो जलस्तर बढ़ते ही लोगों को इस समस्या से निजात मिल जाएगी। एक जिम्मेदार अधिकारी से मिले इस जवाब की अपेक्षा तो नही थी। अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब तक लोगों को पेयजल के इस घोर संकट से निजात मिल सकेगी।
By Shivnandan Sahu
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