सपा शासनकाल मे हुये यमुना घाटों के कई पत्तों व अवैध मोरंग खनन की जांच सीबीआई कर रही है। चर्चित आईएएस अधिकारी बी चन्द्रकला सहित कई बालू कारोबारियों के यहां छापेमारी की कार्यवाही भी की गई। डेढ़ साल पहले सूबे का निजाम बादला और सपा की जगह भाजपा की सरकार बनी। मोरंग बालू खनन नीति को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए। ई-टेंडरींग के बाद कहा गया कि कथित सिंडीकेट का यमुना के मोरंग बालू घाटों से दाखल खत्म कर दिया गया है। पर जमीनी हकीकत दावों से उलट है। मोरंग का अवैध खनन बदस्तूर जारी है और कथित सिंडिकेट के लोगों का दबदबा कायम है।
जिले में मौजूदा समय आठ घाटों से पट्टाधारक मोरंग का खनन करावा रहे हैं। दावा किया जाता है कि इनमें से कई घाट ऐसे है जो कथित सिंडीकेट के लोगों द्वारा संचालित हैं। इतना ही नहीं जिले के सभी आठ बालू घाटों पर सपा शासनकाल की तरह आज भी पनचक्की व भरी भरकम पोकलैंड मशीनों को लगाकर अवैध तरीके से खनन कराया जा रहा है। अधिकारी की नजर के सामने मशीने मजदूरों के हक पर डाका डाल रही है और इसक बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जिम्मेदारों की खामोशी का पूरा फायदा खनन माफिया उठा रहे हैं। पहले की सरकार के समय जैसे ओवरलोड बालू वाहन बेरोकटोक चलते थे वह आज भी उसी तरह फर्राटा भर रहे हैं। यमुना घाटों से तीन सौ घन फुट की जगह एक हजार घन फुट बालू प्रति ट्रक लादा जा रहा है। खेल यह कि रवन्ना (बालू परिवहन की रसीद) नियमानुसार दी जा रही हैं। कार्रवाई के नाम पर कागजी कोराम पूरा करने के लिए कभी कभार ओवरलोड मोरंग बालू वाहनों के खिलाफ कार्यवाही कर दी जाती है। हैरत की बात तो यह कि जिम्मेदारों की नाक के नीचे अवैध मोरंग का खनन बदस्तूर जारी है फिर भी जिले के आधिकारियों का दावा है कि सभी घाटों पर नियमानुसार खनन किया जा रहा है।