जी हां अमर सिंह मल्लाह ही वह नाम है जिसके चलते उत्तर प्रदेश के खनन माफिया और सिंडिकेट पर अब सीबीआई का शिकंजा कसता चला जा रहा है। उनके खिलाफ आवाज उठाने वाला यही शख्स है। अमर सिंह यादव कौशाम्बी जिले के कोखराज थाना अन्तर्गत सुहेला गांव के रहने वाले हैं और उनकी पहचान बस इतनी सी है कि वह स्थानीय तौर सामाजिक कार्य करते है। दो साल पहले जब पिछली सरकार में बालू का ठेका बाहरी लोगों को दिया जाने लगा तो अवैध खनन माफिया पैदा हुए और पूरे यूपी में सिंडिकेट काम करने लगा। लाख शिकायत करने के बावजूद अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी रहा और बढ़ता ही गया।
इसके बाद अमर सिंह ने इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिये इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी। वह अकेले चले तो लोग उनसे जुड़ते गए। उनकी याचिका में हमीरपुर और बांदा से लोग भी जुड़ गए। हाईकोर्ट ने याचिका पर चार बार सुनवाई की और मामले को सीबीआई को सौंप दिया। कौशाम्बी के सराय अकिल थाने में तत्कालीन खनन निरिक्षक अरविंद कुमार व दो कारोबारियों समेत आठ लोगों के खिलाफ 30 जून 2017 को मुकदमा दर्ज किया गया। सीबीआई ने इन लोगों से गहन पूछताछ की और बालूघाओं पर बालू सीज कर दिया।
लगातार चार बार सीबीआई कौशाम्बी पहुंची, लेकिन इसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखा तो अमर सिंह ने फिर न्यायालय की शरण ली। अभी यह मामला लंबित चल रहा है। अमर सिंह ने पत्रिका से कहा कि उन्होंने पीआईएल दाखिल की तो एक के बाद एक अलग-अलग कुल नौ याचिकाएं आयीं, जिनको कोर्ट ने सुना। वह कोर्ट और सीबीआई की कार्रवाई से संतुष्ट हैं और उन्हें पूरा यकीन है कि अवैध खनन के दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
By Shivnandan Sahu