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कौशाम्बी के हिस्से का पानी रोक लेते हैं फतेहपुर के किसान

locationकौशाम्बीPublished: Jun 05, 2019 07:17:55 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

नहर में पानी की जगह बड़ी-बड़ी झाडिय़ों ने जगह ले लिया है

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कौशाम्बी के हिस्से का पानी रोक लेते हैं फतेहपुर के किसान

कौशाम्बी. सोचिए जरा, कोई नहर खुद प्यासा हो। उसमें बड़ी-बड़ी झाडिय़ां उग गई हों, किसानों को खेती के लिए पानी नहीं मिल रहा हो। कुछ ऐसी ही स्थिति रामगंगा नहर की है। ७० किलोमीटर लंबे इस नहर की हालत कौशाम्बी में बद से बदतर हालत में पहुंच चुकी है। तीन दशक पहले तक किसानों के लिए अमृत समान इस नहर पर प्रशासन के निगाह फेर लेने से किसान परेशान हैं। जनप्रतिनिधियों को भी इससे कोई सरोकार नहीं है। हालत यह है कि डार्क जोन में घोषित इलाका खेती के लिए उर्वरा खो चुका है।
दरअसल, कौशाम्बी जिले की सिराथू तहसील की लाइफ लाइन कही जाने वाली निचली रामगंगा नहर पूरी तरह से सूख गई है। नहर में पानी की जगह बड़ी-बड़ी झाडिय़ों ने जगह ले लिया है। प्रशासन को इससे कोई मतलब नहीं कि नहर की यह हालत कैसे हुई।
डार्क जोन है सिराथू और कड़ा विकासखंड

नहर में पानी न आने से सिराथू व कड़ा ब्लॉक का भू-गर्भ जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि इन्हें कई वर्ष पहले डार्क जोन घोषित कर दिया गया है। इसका नतीजा यह है किसानों को नहर के अलावा अन्य माध्यमों से भी सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता। इससे उनकी खेती बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है।
फतेहपुर में किसानों ने रोका पानी

फतेहपुर जनपद के खागा तहसील इलाके से गंगा नदी से निकली निचली रामगंगा का बड़ा क्षेत्र कौशाम्बी जनपद के सिराथू व कड़ा विकास खंड में फैला हुआ है। लगभग 70 किमी लंबाई वाली इस नहर के भरोसे तीन दशक पहले किसान अपने खेत से उपज तैयार करते थे। खागा क्षेत्र के किसानों ने हथिगाम व प्रेम नगर इलाके में बन्धा बनाकर कौशाम्बी जिले के हिस्से का पानी रोक लिया है। इसके चलते नहर पूरी तरह से सूख गई है।
चुनाव में करते हैं नहर में पानी लाने की वकालत

चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि नहर में पानी लाये जाने की ऐसी वकालत करते हैं कि मानों जैसे नहर को पानी से लबालब कर देंगे। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नुरुल इस्लाम बताते हैं कि कई बार धरना प्रदर्शन के साथ ही खागा क्षेत्र पहुंचकर बन्धे को काटा गया, तब जाकर नहर की तलहटी में कुछ दिनों के लिये पानी पहुंचा था। अधिकारियों से वार्ता में पानी नहीं कोरा आश्वासन मिलता है। हालात यह है कि सिराथू व कड़ा में भूगर्भ स्तर 200 फुट से भी अधिक नीचे चला गया है।
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