प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद का गृह जनपद कौशाम्बी में पार्टी के अंदर बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा। यहां भाजपा दो गुटों में बंटी नजर आती है। एक गुट खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या का तो दूसरा गुट सांसद विनोद सोनकर का कहा जाता है। जिस तरह से पार्टी में गुटबाजी सतह पर दिख रही है उससे लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों में जुटी भाजपा को करारा झटका लग सकता है। अप्रैल में आयोजित कौशाम्बी महोत्सव में गुटबाजी का नजारा साफ दिखाई दिया था। केशव प्रसाद मौर्या के गृह जिले में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा सहित कई कैबिनेट मंत्रियों ने शिरकत किया था, पर केशव का न आना उनके समर्थको को जमकर खटका।
महोत्सव में केशव को न बुलाने के सवाल पर सांसद विनोद सोनकर ने दावा किया था कि उन्होंने उन्हें आमंत्रित किया था लेकिन समयाभाव के चलते नही आ सके। सांसद के बयान पर पलटवार करते हुए चायल विधायक संजय गुप्ता जिन्हें केशव का खाटी समर्थक माना जाता है, उन्होंने सांसद के बयान को खारिज करते हुए कहा था कि यदि उन्हें आमंत्रण दिया जाता तो वह अपने जिले के कार्यक्रम में जरूर पहुंचते। कौशाम्बी महोत्सव के अलावा के अलावा कई और मौके भी आये हैं जिसमें केशव व विनोद समर्थकों के बीच आपसी मतभेद खुलकर दिखाई दिया।
केशव समर्थकों ने तो अब सांसद विनोद सोनकर की कार्यशैली पर उंगली उठाना भी शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले केशव मौर्या के गृह जनपद में जिस तरह से गुटबाजी सतह पर आई है उससे बड़ा नुकसान सांसद विनोद सोनकर को ही उठाना पड़ सकता है। पिछले चुनाव में जिन कार्यकर्ताओं ने खेवनहार बनकर विनोद सोनकर को देश की सबसे बड़े सदन में भेजा था वही अब उनसे रूठे रूठे हैं। फिलहाल चुनाव से पहले यदि दोनों खेमा एक न हुए तो लोकसभा चुनाव 2019 में विपक्षी उम्मीदवार से पर पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन होगा। भाजपा की आपसी गुटबाजी का फायदा भी विपक्षी दल अभी से उठने में जुट गए है।