मंगला आरती के समय मंदिर के पुजारी ने मां को भोग लगा कर आरती उतारी, उसके बाद श्रद्धालु पूजन दर्शन में जुट4 गए। इक्यावन शक्तिपीठों में से एक मां कडा वासिनी शीतला धाम मैं नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री रूप का दर्शन किया गया। भक्तों ने सुबह से ही मां के दर्शन पूजन के लिए मंदिर में लाइन लगा रखा था।
मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों ने मां का जयकारा लगाया। माता शीतला को पूर्वांचल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है। यहां पर सबसे अधिक दर्शनार्थियों की भीड़ पूर्वांचल के भक्तों की रहती है। नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने मां के दर्शन पूजन किए और उन्हें रोट व हलवा का प्रसाद चढ़ाया। मां के कुंड को जल व दूध से भरवाने के लिए भक्तों की लाइन लगी रही। मान्यता है कि मां के कुंड को भरवाने से मनोवांछित फल मिलता है।
शीतला धाम के तीर्थ पुरोहित पंडित मदनलाल किंकर के मुताबिक मां सती का यहां पर दाहिना कर (पंजा) गिरा था। जो आज भी कुंड में मौजूद है। गर्दभ वाहिनी मां शीतला को पुत्र देने वाली देवी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे हृदय से मां की पूजा करता है उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में पूरे 9 दिन तक मां के दर्शन व पूजन के लिए भक्तों की सुबह से लेकर देर शाम तक भीड़ लगी रहती है।
By Shivnandan Sahu