सुबह सूरज निकलने के कुछ देर बाद ही गर्म हवा के थपेड़े लोगों को बेचैन करने लगती हैं। गर्मी के चलते दिन के दस बजते-बजते सड़को पर सन्नाटा छा जाता है। बहुत जरूरी काम से ही लोग अपने घरों या दफ्तरों से बाहर निकलते हैं। जो लोग चिलचिलाती धूप में बाहर निकलते हैं वह गमछे या दूसरे उपायों से अपने पूरे शरीर को ढके रहते हैं। चिलचिलाती गर्मी के चलते न घर मे चैन है और न घर के बाहर। गर्मी का सितम लोगों को हैरान परेशान किये हुए है। इंसान तो इंसान पशु-पक्षी भी गर्मी से बिलबिलाए हुये हैं। नहरों व तालाबो में पानी न होने से पशु-पक्षी बेहाल हो गए हैं। गर्मी में पानी न मिलने से पक्षियों के मौत का सिलसिला भी तेजी से चल रहा है।
पानी की तलाश में भटक रहे तालाब व नहर किनारे पहुंचते तो है लेकिन पानी न मिलने से दम तोड़ देते है। कौशाम्बी जिले की निचली रामगंगा नहर हो या फिर करारी माइनर दोनों कई सालों से सूखी पड़ी है। इन नहरों में पानी लाने के लिये किसान संगठन धरना-प्रदर्शन करते हैं लेकिन जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों का उपेक्षात्मक रवैया नहरों में पानी लाने में बाधक बन हुआ है। नहरों में पानी होने से इन भीषण गर्मी में इंसानों के साथ साथ पशु पक्षियों को भी राहत मिलता।