बुधवार को प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या अपने बीमार पिता का हाल चाल लेने पैतृक निवास सिराथू पहुंचे थे। परिजनों से मिलने से पहले डिप्टी सीएम ने सिराथू ब्लॉक सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से मुलाकात किया। इस कार्यक्रम में कौशाम्बी के सांसद, मंझनपुर विधायक समेत महिला व युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष समेत कई पदाधिकारी नजर नहीं आये।
केशव के कट्टर समर्थक चायल विधायक सिराथू विधायक शीतला प्रसाद पटेल व जिलाध्यक्ष रमेश पासी के अलावा कोई दूसरा बड़ा चेहरा नजर नही आया। कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं की तादात भी बहुत कम दिखाई दी। इसके बाद इस बात की चर्चा जोरों से होने लगी है कि ऐसे हालात में लोकसभा चुनाव की तैयारी बेहतर तरीके से कैसे होगी। इससे पहले कौशाम्बी महोत्सव में भी भाजपा के दो गुटों के बीच खींचतान दिखाई पड़ी थी।
कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर के संयोजन में जिले में आयोजित कौशाम्बी महोत्सव जैसे वृहद आयोजन में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा सहित प्रदेश सरकार के कई मंत्री शामिल हुए थे, लेकिन आमंत्रण के बावजूद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने इससे दूरी बनाए रखा। इतना ही नहीं केशव समर्थकों ने भी इस आयोजन में शिरकत करना उचित नहीं समझा, आयोजन के बाद दोनों गुटों की ओर से आने न आने संबंधी सफाई देने का बयान भी आया था।
लोकसभा चुनाव 2019 बेहद नजदीक है, ऐसे में भाजपा की कौशाम्बी इकाई में माननीयों के बीच खिंची लकीर अच्छा संकेत नही दे रही है। पार्टी के अंदर मची रार का पूरा फायदा विपक्षी उठाने की पुरजोर कोशिश करने में जुट गए हैं। विपक्षी जनता के बीच जाकर भाजपा पदाधिकारियों के बीच की कलह को उनके सामने रख रहे हैं, जिसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है।
BY- SHIV NANDAN SAHU