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बसपा की बेरुखी ने डूबा दी सपा की नैया साझा नहीं किया कोई मंच

locationकौशाम्बीPublished: May 26, 2019 08:20:51 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

अखिलेश यादव की जनसभा को छोड़ो किसी अन्य बैठक में बसपा के जिलाध्यक्ष समेत दूसरे पदाधिकारी पूरे चुनाव में दिखाई नहीं दिए

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बसपा की बेरुखी ने डूबा दी सपा की नैया साझा नहीं किया कोई मंच

कौशाम्बी. गठबंधन उम्मीदवार की हार के बाद सपा व बसपा कार्यकर्ता अपने स्तर से समीक्षा में जुटे हुए है। गठबंधन उम्मीदवार सपा के इंद्रजीत सरोज की हार का मुख्य कारण बसपाइयों की बेरुखी सामने आ रही है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बसपा की जिला इकाई ने गठबंधन उम्मीदवार से दूरी बनाए रखा था। अखिलेश यादव की जनसभा को छोड़ो किसी अन्य बैठक में बसपा के जिलाध्यक्ष समेत दूसरे पदाधिकारी पूरे चुनाव में दिखाई नहीं दिए।
इतना ही नहीं बसपा पदाधिकारियों ने प्रचार अभियान से भी किनारा कर रखा था। कभी बसपा का मजबूत गढ़ कहा जाने वाला कौशांबी अब भाजपाइयों के कब्जे में है। जिले की तीनों विधानसभा व संसदीय सीट पर भाजपा का झंडा बुलंद हो रहा है। लोकसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक विश्लेषकों को झूठा साबित करते हुए भाजपा के विनोद सोनकर दोबारा जीत दर्ज कर संसद पहुंच गए। परिणाम आने के बाद सपा-बसपा के लोग अब समीक्षा में जुटे हुए हैं। कार्यकर्ता स्तर पर जो चर्चा हो रही है उसके मुताबिक समाजवादी पार्टी के इंद्रजीत सरोज के हार का कारण कौशांबी में बसपा की जिला इकाई की बेरुखी रही है। पूरे चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष महेंद्र गौतम समेत दूसरे पदाधिकारियों ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ एक भी दिन जनता के बीच दिखाई नहीं दिए।
इतना ही नहीं इंद्रजीत सरोज की नुक्कड़ सभाओं में भी बसपा का कोई पदाधिकारी दिखाई नहीं देता था। सपाइयों ने अपने आलाकमान से कई बार यह मांग रखी थी कि बसपा के शीर्ष पदाधिकारियों की मीटिंग कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में कराई जाए। हालांकि बसपा के किसी भी पदाधिकारी ने कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में मीटिंग करना मुनासिब नहीं समझा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभा के अलावा किसी दूसरे अवसर पर पूरे चुनाव के दौरान बसपा जिलाध्यक्ष महेंद्र गौतम दिखाई नहीं दिए। चर्चा तो यह भी है कि इंद्रजीत सरोज से बसपा सुप्रीमो मायावती की नाराजगी के चलते जिले में उनके कार्यकर्ताओं ने दूरी बनाई थी। चुनाव हारने के बाद अब यह बात तेजी से हो रही है कि यदि बसपा ने इंद्रजीत सरोज का साथ दिया होता तो कौशांबी का परिणाम उनके पक्ष में रहता। फिलहाल पछताने के सिवा सपा के पास कुछ नहीं रह गया।
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