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बालू का खेल: लाइसेंस महज 15 को, पंद्रह सौ ने किया डंप

locationकौशाम्बीPublished: Jul 05, 2019 07:33:17 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

खनन विभाग व जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर कर रहा खानापूर्ति

कौशाम्बी. बारिश शुरू होते ही मोरंग बालू का खनन बंद हो गया, लेकिन इससे पहले खनन माफियाओं से लेकर कारोबारियों ने हजारों घन मीटर मोरंग बालू डंप काट लिया। जिले का कोई ऐसा गांव व नगर नही बचा, जहां बालू के बड़े बड़े ढेर न दिखाई दे रहे हों। खनन विभाग ने बालू भंडारण का लाइसेंस महज 15 को दिया है जबकि तकरीबन पंद्रह सौ लोगों ने बालू का भंडारण कर रखा है। जिले में यमुना नदी की तलहटी से बालू खनन के लिए डेढ़ दर्जन फर्म को पट्टा आवंटित किया गया है। नवंबर महीने से बालू खनन का कार्य शुरू होता है जो जून माह तक चलता है इस दौरान वैध अवैध तरीके से जमकर खनन व बेचा जाता है। इस दौरान खनन विभाग व जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर खूब खानापूर्ति करता है। विभागीय उदासीनता के चलते मोरंग बालू खनन पट्टा धारक से लेकर सैकड़ों कारोबारी अवैध तरीके से बालू का भंडारण करते हैं।

विभागीय सूत्रों की माने तो एक भी पट्टा फारक ने बालू भंडारण का लाइसेंस नहीं बनवाया, वाबजूद इसके भारी मात्रा में नदी कर आस-पास मोरंग डंप करा दी गई है। बताते हैं कि जिले भर में महज पंद्रह लोगों ने बालू डंप करने का लाइसेंस लिया है जबकि पंद्रह सौ से अधिक लोगों ने बालू डंप कर रखा है। डंप बालू की कीमत बारिश माह में लगभग दो गुनी हो जाती है। अभी तक मोरंग बालू का रेट पचीस हजार रुपया प्रति हजार फुट थी जबकि बारिश में पैंतालीस हजार से लेकर पचास हजार प्रति हजार फुट की दर से बेची जाती है जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते बालू कारोबारी बिना लाइसेंस लिये महज चार महीने में रकम दोगुनी कर लेते हैं। बारिश के महीने में मकान आदि का निर्माण अधिक होते हैं जिसके चलते मोरंग बालू की खपत बढ़ जाती है।

दस हजार रुपया है भंडारण की सालाना फीस
बालू डंप करने के लिये विभागीय नियमों का पालन करने के साथ ही दस हजार रुपया वार्षिक फीस खनन विभाग की फीस ट्रेजरी के जरिये जमा की जाती है। बालू डंप का लाइसेंस लेने वालों के लिये तहसील से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों से अनुमति लेनी होती है। इसमें फीस भले ही काम है लेकिन भागदौड़ अधिक करनी पड़ती है। जिले में इन दिनों अनुमानित पंद्रह सौ लोग अवैध तरीके से बालू का कारोबार कर रहे हैं। यदि ये लोग लाइसेंस ले लें तो विभाग को डेढ़ करोड़ रुपया वार्षिक आमदनी अलग से होनी शुरू हो जाएगी। कुल मिलाकर उदासीनता कर कारण विभाग से लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है।
BY- SHIV NANDAN SAHU

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