कौशाम्बी

माता-पिता के पास नहीं थे पैसे, कांवर में बैठाकर तीर्थ यात्रा के लिए ले गया यह बेटा, हर तरफ हो रही तारीफ

आर्थिक तंगी के चलते पैदल यात्रा का लिया निर्णय, पचहत्तर किमी की है यात्रा

कौशाम्बीOct 02, 2019 / 09:07 pm

Ashish Shukla

आर्थिक तंगी के चलते पैदल यात्रा का लिया निर्णय, पचहत्तर किमी की है यात्रा

कौशाम्बी. श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी कि किस तरह वह अपने माता-पिता की सेवा करते थे। उन्हें कांवर में बिठाकर तीर्थ यात्रा करवाने ले गए थे। लेकिन अगर हम कहें कि कलयुग में भी ऐसा ही एक श्रवण कुमार है, तो आप विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन ये सच है। आज हम आपको कलयुग के एक ऐसे श्रवण कुमार के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने माता-पिता को नवरात्रि के इस पावन दिन में स्नान आदि कराने के बाद कांवड़ में उन्हें बैठाकर कौशांबी के रामपुर हटवा गांव से लगभग पचहत्तर किलो मीटर दूर चित्रकूट धाम लेकर जा रहे हैं।
कावड़ में माता-पिता को बैठाकर ले जा रहे कलयुग के ये श्रवण कुमार समाज के उन लोगों को संदेश भी दे रहे हैं जो अपने माता पिता के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं करते रहते हैं। हम बात कर रहे है कौशांबी जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित हटवा रामपुर मडूकी के रहने वाले सूबेदार की। सूबेदार एक बेहद गरीब परिवार के रहने वाले है। मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार और माता पिता का भरण पोषण करते है।
एक दिन अचानक उनके पिता भीमसेन ने चित्रकूट जाकर कामता नाथ के दर्शन करने की इच्छा जाहिर किया। पैसे से मजबूर बेटे ने पिता की इस इच्छा को पूरा करने की ठान लिया। पैसों की तंगी के चलते वह अपने माता पिता को गाड़ी से तीर्थ यात्रा करवाने में असमर्थ थे। पचहत्तर वर्षीय पिता भीमसेन और पैंसठ वर्षीय माता रामकली ज्यादा दूर पैदल चल भी नही सकती थी। इसके लिए कलयुग के श्रवण कुमार सूबेदार ने अपने माता पिता को कावर में बैठकर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने की ठान लिया।
इसके लिए उन्होंने एक कावड़ तैयार किया। जिसके बाद मंगलवार को सुबह अपबे माता पिता को नहला धुला कर नया कपड़ा पहना कर तैयार किया। गांव के देवी देवताओं की पूजा पाठ कर अपने माता पिता को कावड़ में बैठा कर चित्रकूट के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उन्हें विदा करने के लिए गांव वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई और गाना बाजा के साथ उन्हें चित्रकूट की यात्रा के लिए विदा किया।
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