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बायो-गैस प्लांट से घरों को मिल रही गैस, खेतों को खाद

locationकौशाम्बीPublished: Nov 10, 2018 06:09:59 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

गंगा की तराई के गांवों मे ओड़ीएफ प्लस योजना के तहत चल रहा अभियान

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बायो-गैस प्लांट से घरों को मिल रही गैस, खेतों को खाद

कौशांबी. आम तौर पर पशुओं के अपशिष्ट का उपयोग खाना बनाने के लिए ईंधन (कंडा-उपले) के रूप में किया जाता है, लेकिन यूपी के कौशाम्बी जिले में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिला ओडीएफ घोषित होने के बाद अब प्रशासन द्वारा गांव-गांव में बायोगैस प्लांट लगवाया जा रहा है। बायोगैस प्लांट लगाने के लिए भारत सरकार की तरफ से भारी अनुदान भी दिया जा रहा है।
यूपी राष्ट्रीय बायोगैस उर्वरक प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी) के तहत 53 हजार रुपये प्रति संयंत्र लागत आती है। जिसमे प्रत्येक लाभार्थियो को 40 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। अवशेष लागत लाभार्थी द्वारा वहन की जाती है। 2 घनमीटर क्षमता के बायोगैस संयत्र से 5 व्यक्तियों के दोनों समय का खाना बनाने एवं लैम्प 4 से 5 घंटे प्रतिदिन जलाया जा सकता है तथा 6 टन उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद प्रतिवर्ष प्राप्त होती रहेगी।
कौशाम्बी को खुले में शौच से मुक्त बनाने के साथ-साथ गंदगी मुक्त बनाने की नई पहल की शुरुआत की गई है। इसके तहत प्रत्येक ग्राम सभाओं में बायोगैस प्लांट लगाकर भारत सरकार के महत्वकांक्षी योजना स्वछता मिशन अभियान को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। पंचायती राज विभाग ने अब तक जिले के बबुरा, चकताजपुर, शहजादपुर, चरवा समेत दो दर्जन से अधिक गांवों में बायोगैस प्लांट लगवाए जाने का काम किया है। बायोगैस प्लांट लगाने के बाद लोगो को काफी सहूलियत भी मिल रही है। लाभार्थी अपने मवेशियों के अपशिष्ट को टैंक में डालता है, जिससे प्राप्त होने वाली बायोगैस के इस्तेमाल कर अपने परिवार के लिए विभिन्न प्रकार का पकवान भी तैयार करता है।
ऐसे में उन्हें हर महीने करीब 9 सौ रुपए एलपीजी गैस का होने वाले खर्च से भी निजात मिलती है। और साल में करीब 6 टन उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद प्राप्त कर खेतो में इस्तेमाल कर अच्छी फसल भी तैयार कर सकते है।
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