किसानों ने राज्य सरकार द्वारा 2500 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य दिए जाने के चलते अधिक मात्रा में धान बेचा है, लेकिन वे भूल गए कि आधार कार्ड, राशन कार्ड के साथ भी लिंक है। धान बेचने पर पंजीकृत रकबा, धान का क्विंटल सब कुछ ऑनलाइन दिख रहा है, जिसके चलते जो किसान पांच एकड़ से कम होने और भूमिहीन होने का हवाला देकर बीपीएल राशन कार्ड बनवाए हैं। साथ ही धान का समर्थन का भी लाभ लेने के लालच में बिक्री भी किए हैं, ऐसे 25 हजार किसानों का राशन कार्ड का कटना तय है।
अंत्योदय, निराश्रित, प्राथमिकता सभी प्रकार के मिलाकर जिले में कुल 2 लाख 16 हजार बीपीएल कार्ड जारी किए गए हैं। इनमें से अब अनुमानित 25 हजार से अधिक किसानों के बीपीएल राशन कार्ड जल्द ही सामान्य परिवार(एपीएल) राशन कार्ड में बदल जाएंगे। अभी पटवारी के माध्यम से उन किसानों का सत्यापन कराया जा रहा है। जैसे ही किसानों की पूर्ण सूची तैयार होगी, जिला खाद्य विभाग द्वारा कलेक्टर के आदेश पर इसमें कार्रवाई करेगा।
खाद्य अधिकारी अरूण मेश्राम ने बताया कि भूमिहीन बीपीएल कार्डधारियों द्वारा भी धान बेचने की जानकारी मिली है। बीपीएल राशन कार्डधारियों ने अधिक मात्रा में धान का विक्रय किया है। पटवारी के माध्यम से सत्यापन कराया जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि कितना राशन कार्ड किस श्रेणी का कटेगा।
मिली जानकारी के अनुसार 15 हजार से अधिक ऐसे ग्रामीण हैं जिन्होंने खुद को भूमिहीन बताकर बीपीएल राशन कार्ड बनवाया, लेकिन धान की बिक्री किए। अब सवाल यही उठता है कि जब भूमिहीन हैं तो धान कहां से बेचा गया। इसकी जांच कराई जा रही है। इसी प्रकार से 12 हजार से अधिक वह किसान हंै जिन्होंने शासन को शपथ पत्र दिया कि उनके पास पांच एकड़ से कम रकबा भूमि है। इसके चलते ही उनका बीपीएल राशन कार्ड बनाया गया, लेकिन इन्होंने हाल ही में बताए रकबा से अनुपात में कहीं अधिक समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री की। इस तरह से शासन के दोहरी योजना का लाभ लिया।