जिले में 3 जून से लगतार मरीज कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं। पांच दिनों के भीतर ही 57 मरीजों की पहचान हो चुकी है। जबकि पिछले माह 3 से 29 मई तक 19 मरीज मिले थे। मतलब जिस रफ्तार से प्रवासी मजदूरों का आगमन हुआ उसी रफ्तार से कोरोना संक्रमितों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। वहीं अब तक जिले में कुल मरीजों की संख्या की 76 हो चुकी है, जिसमें 13 लोग डिस्चार्ज हुए जबकि 63 एक्टिव केस हैं।
खतरा केवल क्वारंटाइन सेंटर में पॉजिटिव मरीज मिलने तक सीमित नहीं रहा। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग का एक लैब टैक्निशियन और एक आरएमए भी चपेट में आ चुका है। ग्राम भलपहरी के क्वारंटाइन सेंटर में मिले दो प्रवासी मजदूर कोरोना पॉजिटिव मिले, संभवता इनकी जांच के दौरान ही लैब टैक्निशियन व आरएमए संक्रमण की चपेट में आ गए। यह दोनों ही बोड़ला ब्लॉक के गांव-गांव क्वारंटाइन सेंटर जाते थे। लोगों के सैंपल एकत्रित करते और स्वास्थ्य केंद्र में भी ग्रामीणों की जांच करते थे। आरएमए बैजलपुर स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी देता है, जबकि लैब टैक्निशियन बोड़ला नगर के वार्ड क्रमांक 7 में किराए के मकान में रहता है। उक्त मकान मालिक का शूज और फलों की दुकान है। ऐसे में खतरा बहुत ही बढ़ चुका है।
रायपुर एम्स द्वारा रविवार को कबीरधाम के 12 मरीजों की पहचान होने की सूची जारी किया गया। लेकिन पता चला कि जो सूची जारी किया गया उसमें 10 नाम शनिवार को जारी सूची में शामिल थे उन्हें ही दोहरा दिया गया। इसमेंं केवल 2 नए मरीज है। इस त्रुटि के चलते जिला स्वास्थ्य विभाग के टीम का काम बढ़ा दिया गया। सभी 12 लोगों की सूची की पड़ताल किया गया। तब पता चला कि 10 नाम रिपीट किए गए।
तेजी से गांव-गांव कंटेनमेंट जोन में बदलते जा रहा है। 24 घंटे के भीतर जो 47 मरीज मिले उसमें सबसे अधिक ग्राम बिटकुली-केसली क्वारंटाइन सेंटर से 22 लोग है। वहीं ग्राम मोहभ_ा और गोरखपुर क्वारंटाइन सेंटर में 7-7 मरीज मिले। साथ ही बोड़ला नगर में एक, बैजलपुर में एक और ग्राम भलपहरी क्वारंटाइन सेंटर में दो प्रवासी मजदूर संक्रमित। इसके अलावा कवर्धा के बालक आश्रम क्वारंटाइन सेंटर में 4 मरीज की पहचान हुई। इन सभी सेंटर, गांव और वार्ड को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। एरिया को सील कर आवागमन बंद दिया गया है। वहीं सुरक्षा के लिए पुलिस जवान तैनात किए जा चुके हैं।
शनिवार व रविवार को जो संक्रमित मिले उसमें अधिक मरीज पूर्व में कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने से संक्रमित हुए। मतलब क्वारंटाइन सेंटर से ही मरीज के साथ संपर्क में आने अन्य लोग भी संक्रमित हुए। यह एक तरह से क्वारंटाइन सेंटर में बरती जाने वाली लापरवाही का नतीजा है। क्योंकि अधिकतर क्वारंटाइन सेंटर में सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है। बाहरी लोगों से मिल रहे हैं। सोशल डिस्टेंट और मास्क तो भूल ही जाए। कहीं पालन नहीं हो रहा है, जिसके कारण यह क्वारंटाइन सेंटर में फैल रहा है।