प्रेसवार्ता के दौरान शाह ने कहा कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने अपने तीन शासनकाल में न तो विशेष भर्ती अभियान प्रारंभ किया और न ही बैकलॉग पदों को भरने में रूचि दिखाई। भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा उस समय सार्वजनिक हो गया, जब मुख्यमंत्री ने भूमि अधिग्रहण बिल को विधानसभा में पारित किया था। आदिवासी समाज और कांग्रेस के भारी विरोध के चलते सरकार ने कानून को रोक लिया किंतु रद्द नहीं किया है।
हर जिले में एक रामकृष्ण अस्पताल
सड़क और फ्लाईओवर बनाकर विकास की बात कह रहे हंै तो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह झूठ बोल रहे हैं। वह जनता से छल कर रहे हैं। 23 अरब रुपए का मोबाइल बांट दिया गया, जबकि इतनी बड़ी राशि से हर जिले में एक रामकृष्ण अस्पताल खड़ा हो जाता। जब भी बस्तर में सेना का कोई जवान माओवादी हमले में घायल होता है तो उसे अंबेडकर अस्पताल न ले जाकर रामकृष्ण अस्पताल में भर्ती किया जाता है क्योंकि वहां की सुविधा बेहतर है। दुर्भाग्य है कि 15 साल के शासन काल में अंबेडकर अस्पताल की स्थिति को नहीं सुधरी जा सकी।