प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एक गांव से दूसरे गांव को जोडऩे के पीछे प्रशासन के नियत साफ है, लेकिन संबंधित रोड मेकर ठेकेदार की लापरवाही के चलते इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। निर्माण कार्य में अनियमितता बरती जाने के कारण निर्माण के बाद महज दो-तीन साल में ही सड़कें जवाब देने लगी है। मार्ग की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है कि छोटे बड़े वाहनों के गुजरने से धूल उडऩे लगते हैं। अभी से यह स्थिति है तो गर्मी के दिनों में इस मार्ग पर चलने पर धुल की परतों से सामना करना पड़ सकता है। दिन में जैसे तैसे इस मार्ग से आवागमन हो जाती है, लेकिन रात को इस मार्ग पर दो पहिए वाहन से सफर करना चुनौती भरा रहता है।
निर्माण के दो साल बाद ही पक्की सड़क का हाल बेहाल हो चुका है। इस सड़क की गुणवत्ता का अंदाजा गिट्टी की बिखराव से लगाया जा सकता है। शायद ग्रामीण स्तर में निर्माण कार्य कुछ इस तरह की होते हैं। सड़क निर्माण के समय ठेकेदार द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है। इसके चलते ही सड़क समय से पहले ही खराब हो चुका है। अगर समय रहते मरम्मत नहीं हुआ तो आने वाले बरसात के दिनों में इसकी स्थिति और भयानक हो जाएगी। इसके पहले मरम्मत जरुरी है।
मरम्मत नहीं किए जाने से मार्ग पर चलना मुश्किल हो रहा है। छोटे बड़े पत्थर व बोल्डर उखड़ कर मार्ग में बिखरे पड़े हुए हैं। इससे आवागमन करने वाले ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद विभागीय अमला मार्ग की दशा सुधरवाने ध्यान नहीं दे रहा है। अक्सर वाहन सवार इस मार्ग में गुजरते हुए दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं।