भवन की जर्जर प्लास्टर दीवार छोड़ रही है, जिसके चलते कभी भी गंभीर हादसा हो जाए, तो ताज्जुब नहीं है। इसका असर यहां अध्ययनरत 50 मूक-बधिर बच्चों में पड़ रहा है। स्कूल भवन की मरम्मत को लेकर सरकारी नुमाइंदे उदासीनता बरत रहे हैं। नतीजतन दिनों-दिन भवन की स्थिति खराब होती जा रही है। हादसे सांए में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बावजूद इसके समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन यहां झांकने की जहमत तक नहीं उठाना चाह रहे हैं।
मूक-बधिर बच्चों को अच्छी सुविधा के साथ शिक्षा देने के मकसद से आवासीय स्कूल का निर्माण कराया गया था। निर्माण के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ही इसका उद्घाटन किए। तब उन्होंने इस स्कूल को बच्चों के लिए मील का पत्थर होने की बात कही थी, लेकिन मौजूदा हालात उन तमाम बातों की वास्तविकता की कहानी बयां कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि मुख्यालय से नजदीक होने के बाद भी विभागीय अधिकारी मॉनिटरिंग करने नहीं पहुंचते हैं। अगर समय समय पर मॉनिटरिंग करते तो शायद भवन की स्थिति ऐसी नहीं होती।