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मूक-बधिर स्कूल में अंधत्व का साया, दीवारों से झरने लगा प्लास्टर

locationकवर्धाPublished: Mar 09, 2019 11:19:16 am

Submitted by:

Panch Chandravanshi

मूक बधिर स्कूल में अंधता का साया मंडरा रहा है। एक तो भवन जर्जर है, वहीं माह पहले पदोन्नत हुए शिक्षक को अधीक्षक का प्रभारी सौंपा गया, अब उनका स्थानांतरण आदेश आ चुका है।

Water stove plaster

Water stove plaster

कवर्धा. मूक बधिर स्कूल में अंधता का साया मंडरा रहा है। एक तो भवन जर्जर है, वहीं माह पहले पदोन्नत हुए शिक्षक को अधीक्षक का प्रभारी सौंपा गया, अब उनका स्थानांतरण आदेश आ चुका है। बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर सरकारी कवायद का दम कैसे निकलता है। इसका नमूना देखना हों ग्राम सिंघनपुरी स्थित शासकीय मूक-बधिर आवासीय स्कूल चले आइए।
जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर ग्राम सिंघनपुरी में शासकीय मूक-बधिर आवासीय स्कूल संचालित है। बीआरजीएफ योजनांतर्गत वर्ष 2011-12 में स्कूल भवन का निर्माण किया गया। इसे बनाने में शासन ने 32.91 लाख रुपए खर्चें है, लेकिन अब स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
40 में एकल शिक्षक का स्थानांतरण
वहीं 40 श्रवण बधिर में एकल शिक्षक विजय कुमार जांगड़े का स्थानांतरण से समस्या और भी बढ़ गई है। वैसे तो विद्यालय में कुल 50 बच्चों की दर्ज संख्या है। दृष्टि बाधित 10 बच्चों में दो शिक्षक नियमित और दो अटैच शिक्षाकर्मी है, लेकिन श्रवण बधिर 40 बच्चों के लिए एक ही शिक्षक है, अब उनका भी स्थानांतरण आदेश आते ही बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है। इधर जर्जर भवन की दीवारों ने जवाब देना शुरू कर दिए हैं। भवन के बाहर व अंदरूनी दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारे आ चुकी है।
दीवार छोड़ रही प्लास्टर
भवन की जर्जर प्लास्टर दीवार छोड़ रही है, जिसके चलते कभी भी गंभीर हादसा हो जाए, तो ताज्जुब नहीं है। इसका असर यहां अध्ययनरत 50 मूक-बधिर बच्चों में पड़ रहा है। स्कूल भवन की मरम्मत को लेकर सरकारी नुमाइंदे उदासीनता बरत रहे हैं। नतीजतन दिनों-दिन भवन की स्थिति खराब होती जा रही है। हादसे सांए में बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बावजूद इसके समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन यहां झांकने की जहमत तक नहीं उठाना चाह रहे हैं।
पूर्व सीएम ने किया था उद्घाटन
मूक-बधिर बच्चों को अच्छी सुविधा के साथ शिक्षा देने के मकसद से आवासीय स्कूल का निर्माण कराया गया था। निर्माण के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ही इसका उद्घाटन किए। तब उन्होंने इस स्कूल को बच्चों के लिए मील का पत्थर होने की बात कही थी, लेकिन मौजूदा हालात उन तमाम बातों की वास्तविकता की कहानी बयां कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि मुख्यालय से नजदीक होने के बाद भी विभागीय अधिकारी मॉनिटरिंग करने नहीं पहुंचते हैं। अगर समय समय पर मॉनिटरिंग करते तो शायद भवन की स्थिति ऐसी नहीं होती।
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